प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ईडी (ED) एक वित्तीय जांच एजेंसी है, जो केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन काम करती है। ईडी पर यह आरोप भी लगते रहे हैं कि यह एजेंसी सरकार के इशारे पर उसके विरोधियों को ठिकाने लगाने का काम करती है। ईडी को आर्थिक मामलों की जांच के साथ ही गिरफ्तारी के अधिकार भी प्राप्त हैं। ED की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी।
क्यों सुर्खियों में : ईडी इन दिनों दिग्गज हस्तियों पर हाथ डालने के कारण सुर्खियों में है। ईडी ने हाल ही में पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निकट सहयोगी पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर छापा मारकर 50 करोड़ से ज्यादा की नकदी बरामद की थी। इसके चलते पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था।
इसके अलावा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लंबी पूछताछ और नेशनल हेराल्ड के दफ्तर को सील करने के चलते भी यह एजेंसी सुर्खियों में है। ईडी की पूछताछ के चलते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर प्रदर्शन किया था। शिवसेना सांसद संजय राउत की गिरफ्तारी भी ईडी की ताकत को दर्शाती है।
अधिकार : ईडी को आर्थिक मामलों की जांच, कुर्की, जब्ती के साथ ही गिरफ्तारी और अभियोजन की कार्रवाई का भी अधिकार प्राप्त है। यह एजेंसी भगोड़े अपराधियों की संपत्ति को कुर्क कर सकती है। विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे भगोड़ों की संपत्ति भी ईडी द्वारा कुर्क की गई थी।
कार्यक्षेत्र : दिल्ली स्थित मुख्यालय के अलावा ईडी को 5 क्षेत्रों- मध्य क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, उत्तरी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र में बांटा गया है। इस एजेंसी के मुखिया को प्रवर्तन निदेशक कहा जाता है। इसके अलावा विशेष निदेशक, उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक, अपर निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद भी होते हैं।
किन कानूनों के तहत कार्य करता है ईडी :
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धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) : यह एक आपराधिक कानून है जिसे धन शोधन को रोकने के लिए और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती के लिए अधिनियमित किया गया है। ईडी को को इस तरह के अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने हेतु जांच करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से अटैच करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करवाते हुए प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है।
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विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) : इस कानून के तहत विदेशी व्यापार और भुगतान की सुविधा से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया गया है। इस तरह के मामलों में ईडी को जांच के साथ ही जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी भी दी गई है।
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भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA) : यह कानून आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर भागकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत ऐसे आर्थिक अपराधी, जो भारत से बाहर भाग गए हैं, उनकी संपत्तियों को कुर्क करने के लिए तथा उनकी संपत्तियों को केंद्र सरकार से अटैच करने का प्रावधान किया गया है।
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विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (FERA) : निरसित (Repealed) एफआईआर के तहत उक्त अधिनियम के कथित उल्लंघनों के लिए अधिनियम के तहत 31 अप्रैल 2002 तक जारी कारण बताओ नोटिस का न्याय निर्णयन करना है। इसके आधार पर संबंधित पर जुर्माना लगाया जा सकता है और एफआईआर के तहत शुरू किए गए मुकदमों को आगे बढ़ाया जा सकता है।
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सीओएफईपीओएसए के तहत प्रायोजक एजेंसी : विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम,1974 (सीओएफइपीओएसए) के तहत इस निदेशालय को फेमा के उल्लंघनों के संबंध में निवारक निरोध के मामलों को प्रायोजित करने का अधिकार है।