Halal controversy : धर्म विशेष के ग्राहकों को हलाल प्रमाण पत्र उपलब्ध कराकर बिक्री बढ़ाने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ कथित रूप से खिलवाड़ करने को लेकर एक कंपनी और कुछ अन्य संगठनों के खिलाफ पुलिस ने यहां मामला दर्ज किया है।
लखनऊ के ऐशबाग में मोतीझील कॉलोनी के निवासी शैलेंद्र कुमार शर्मा की शिकायत पर शुक्रवार को हजरतगंज थाने में यह मामला दर्ज किया गया। दरअसल, धर्म विशेष के ग्राहकों को हलाल प्रमाण पत्र देकर बिक्री बढ़ाने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ कथित रूप से खिलवाड़ करने की बातें हो रही हैं। आरोप है कि ये कंपनियां और संगठन न केवल मुनाफे के लिए बल्कि सामाजिक वैमनस्यता बढ़ाते हुए फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर रहे हैं और हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं।
क्यों आई आतंकी फंडिंग की बात : शिकायत करने वालों ने कहा है कि जिन कंपनियों के पास हलाल प्रमाण पत्र नहीं हैं, उनके उत्पादों की बिक्री घटाने के प्रयास के तहत ऐसा किया जा रहा है, जो अवैध है। आशंका है कि इस अवैध कमाई से आतंकवादी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को फंडिंग की जा रही है। हलाल सर्टिफिकेट में आतंकी फंडिंग की बात सामने आई है।
क्या होता है हलाल सर्टिफिकेट : दरअसल, ज्यादातर लोग बिना चेक किए कि यह हलाल है या नहीं, शॉपिंग करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि हलाल प्रमाण पत्र क्या होता है और यह सोचकर कौन खरीदारी करता है। इसमें इस बात की गारंटी होती है कि भोजन इस्लामी कानून के तहत तैयार किया गया है। अगर किसी प्रोडक्ट में जानवर या उससे मिलने वाली चीजें शामिल हैं और वह हराम के दायरे में आता है तो उसे हलाल सर्टिफिकेशन नहीं मिल सकता है। भारत में यह सर्टिफिकेशन आमतौर पर एक थर्ड-पार्टी द्वारा प्रदान किया जाता है। कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट और जमीयत-उलेमा-ए-महाराष्ट्र का नाम सामने आया था। वैसे, भारत में इसके लिए कोई कानूनी प्राधिकरण नहीं है जबकि अरब देशों में मजिस्ट्रेट हलाल सर्टिफिकेट जारी करते हैं।
हलाल क्या होता है : हलाल अरबी का शब्द है, जिसका मतलब होता है जायज़। इसके उलट हराम होता है यानी वह चीज जो निषिद्ध हो। हलाल उपभोग के लिए केवल जानवरों को मारने के समय ही लागू नहीं होता है, बल्कि यह उत्पादों के निर्माण की प्रक्रिया पर भी लागू होता है जिससे वह इस्लामी मान्यताओं के अनुकूल हो।
क्या होता है हलाल में : हलाल गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए जब जानवर को मारना होता है तो तेज धार वाली छुरी का इस्तेमाल गले के आगे चीरा लगाने के लिए किया जाता है। इसमें सही जगह ग्रासनली (इसोफेगस) और गले की नसें होती हैं। किसी दूसरे तरीके से बिल्कुल भी नहीं।
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जानवर के सिर वाले हिस्से को मक्का की दिशा में रखा जाता है और स्लॉटर (कत्ल) के समय इस्लामिक प्रार्थना बोलनी होती है।
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स्लॉटर (कत्ल) किसी मुस्लिम द्वारा ही किया जाना चाहिए।
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इस्लामी कानून के तहत अगर जानवर को मारने के लिए कोई दूसरा तरीका अपनाया जाता है तो वह हराम है। मरने वाला जानवर भी हराम है और उसे नहीं खाया जाना चाहिए।
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हलाल में वध के लिए तैयार किए जाने वाले जानवर को अच्छे से खिलाया-पिलाया और देखभाल की जानी चाहिए। वह बीमार नहीं होना चाहिए।
(भाषा) Edited By : Navin Rangiyal