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पीएम मोदी ने आखिर क्यों जोड़ा मथुरा से अपना रिश्ता, राम के बाद अब श्रीकृष्ण भाजपा के हिन्दुत्व एजेंडे को देंगे धार?

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 24 नवंबर 2023 (15:50 IST)
अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब क्या संघ के मथुरा के एजेंडे को पूरा करने के लिए क्या आगे बढ़ चुके है? क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा भगवान राम के साथ भगवान श्री कृष्ण के सहारे मथुरा के एजेंडे को और धार देगी? क्या श्री कृष्ण जन्मभूमि में आने वाले समय मे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित क्या जाएगा? यह तीन ऐसे बड़े सवाल है जो गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मथुरा दौरे के बाद अब उठने लगे है।

मथुरा में क्या कहा पीएम मोदी ने?-बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पहुंचने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री है। पीएम मोदी ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर पहुंचकर गर्भ गृह में पूजा और दर्शन किया। श्री कृष्ण जन्म भूमि पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां इसे अपना सौभाग्य बताया वहीं अपने भाषण में उन्होंने इशारों ही इशारों में कई संकेत भी दे दिए।

पीएम मोदी ने कहा कि जब देश आजाद हुआ जो लोग भारत को उसके अतीत से काटना चाहते थे। आजादी के बाद भी गुलामी की मानसिकता में जकड़ा रहा. ब्रजभूमि को विकास से वंचित रखा लेकिन अब राम मंदिर की तिथि भी आ गई है। वो दिन दूर नहीं जब यहां भगवान कृष्ण के दर्शन और भी दिव्य रूप में होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत राधे-राधे से की और कहा कि आज मेरा सौभाग्य है कि ब्रज और ब्रजवासियों के दर्शन का अवसर मिला है. यहां वही आता है जिसे कृष्ण बुलाते हैं। पीएम ने कहा कि मथुरा के इस समारोह में आना इसलिए भी विशेष है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण से लेकर मीराबाई दोनों का गुजरात का अलग ही रिश्ता है। मथुरा के कान्हा ने यहां से जाकर गुजरात में द्वारिका बनाई और उनकी महान भक्‍त मीराबाई ने राजस्थान से आकर अंत समय गुजरात में बिताया था।

पीएम मोदी के मथुरा दौरे के मयाने?- देवोत्थान एकादशी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुथरा जाना और श्री कृष्ण जन्मभूमि का दर्शन करने के कई सियासी मायने है। दरअसल संघ के कार्यकर्ता शुरु से ही नारे लगाते आए है कि अयोध्या तो झांकी है, काशी और मथुरा बाकी है’। अयोध्या में राम मंदिर के  निर्माण के बाद अब काशी और मुथरा को लेकर सबसे अधिक चर्चा में है। काशी में ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का काम पूरा हो चुका है और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया अब रिपोर्ट तैयार कर रही है। वहीं श्री कृष्ण जन्म भूमि के एडवोकेट कमिश्नर से सर्वे कराए जाने का मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में है।

भाजपा आने वाले समय में अपनी हिंदुत्व की विचारधारा को धार देने के लिए मथुरा के मुद्दें को उछाल सकती है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार काशी विश्वनाथ की तर्ज पर मथुरा में कॉरिडोर के निर्माण पर आगे बढ़ चुकी  है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब मथुरा में भी भव्य मंदिर बनाने को लेकर उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पहले ही कह चुके है कि 'अयोध्या-काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है।'

क्या है मथुरा का पूरा विवाद?-मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि का केस इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा है। दरअसल श्रीकृष्ण जन्मभूमि के परिसर की 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर पूरा मामला है। वर्तमान में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा करता आया है।

अगर देखा जाए तो मथुरा का विवाद भी अयोध्या की तर्ज पर है। हिंदू पक्ष का दावा कि अयोध्या की तरह मुगल शासक औंरगजेब ने 1670 ईसवी में मथुरा में केशवदेव का मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई थी। हिंदू पक्ष इसी शाही ईदगाह को अवैध कब्जा बता  रहा है और याचिका में मंदिर स्थल से ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस पूरे मामले पर सुनवाई हो रही है।

वहीं भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद सहित अन्य आनुषंगिक संगठनों के कार्यकर्ताओं की ओर से अयोध्या, वाराणसी और मथुरा में मंदिर निर्माण की मांग को पूरा करने के दावे किए जाते रहे हैं।
 

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