narendra modi swearing in ceremony: केन्द्र में एनडीए सरकार के गठन की कवायद शुरू हो चुकी है, लेकिन गठबंधन सहयोगियों से लेकर हर किसी की नजर इस बात पर है कि किस दल को कितने मंत्री मिलेंगे। इस बीच, खबर है कि 4 सांसदों पर एक मंत्री पद दिया जाएगा। सहयोगी दलों की मंशा है कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा मंत्री पद मिलें। चूंकि भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं है, इसलिए मोदी और उनकी टीम को मंत्रिमंडल बनाने में काफी दबाव का झेलना पड़ सकता है।
क्या है नीतीश की चाह : हालांकि यह भी माना जा रहा है कि गृह, वित्त, रक्षा और विदेश जैसे मंत्रालय भाजपा हर हाल में अपने ही पास रखना चाहेगी। एनडीए सरकार बनने की खबरों के बीच नीतीश कुमार अचानक सुर्खियों में आ गए हैं। बताया जा रहा है कि वे कम से कम अपने 3 साथियों को मंत्री बनवाना चाहते हैं। रेल मंत्रालय पर उनकी खास नजर है, क्योंकि नीतीश खुद रेल मंत्री रह चुके हैं। नीतीश फिलहाल भाजपा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। बिहार से ही आने वाले चिराग पासवान की लोक जनशक्ति के भी 5 सांसद हैं। हालांकि उन्होंने कुछ कहा नहीं है, लेकिन उनके खाते में भी दो मंत्री पद जा सकते हैं।
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तेलुगू देशम पार्टी के पास 16 सांसद : सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने वाली चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी के पास 16 सांसद हैं। उनकी नजर कम से कम 4 मंत्री पद पर है। ऐसा कहा जा रहा है कि वे लोकसभा अध्यक्ष का पद भी चाहते हैं। हालांकि वे कितने सफल होते हैं यह तो वक्त ही बताएगा। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे भी 3 मंत्री चाहते हैं, उनके 7 ही सांसद हैं। ऐसे में उन्हें 2 पद देकर भी संतुष्ट किया जा सकता है। एनसीपी का सिर्फ एक ही सांसद जीतकर आया है, अजित पवार भी अपनी पार्टी के लिए मंत्री पद की ख्वाहिश पाले हुए हैं। महाराष्ट्र में उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें साइडलाइन भी किया जा सकता है, लेकिन दोनों ही नेता भाजपा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसी साल राज्य में विधानसभा चुनाव होना है।
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पवन कल्याण की जनसेना और जयंत चौधरी की आरएलडी के भी 2-2 सांसद हैं, उन्हें भी एक-एक मंत्री पद मिल सकता है। आरएलडी से जयंत चौधरी को मंत्री बनाया जा सकता है। कुमारस्वामी की पार्टी जदएस की नजर भी कृषि मंत्रालय पर है। इनके पास 3 सांसद हैं। इनके अलावा अपना दल की अनुप्रिया पटेल, हम के जीतनराम मांझी, आधा दर्जन से ज्यादा निर्दलीय सांसद भी चाहेंगे कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। पटेल तो मोदी सरकार 2.0 में भी मंत्री रही हैं। नरेन्द्र मोदी और उनकी टीम के सामने सहयोगी दलों को संतुष्ट करना ही सबसे बड़ी चुनौती है।
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सबसे ज्यादा मंत्री बिहार से : एक बात तय है कि इस बार मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा मंत्री बिहार से हो सकते हैं। नीतीश के 3, चिराग के 2 और हम का 1 मंत्री होने के साथ ही भाजपा सांसदों को भी मंत्री बनाया जाएगा। इनकी संख्या कम से 2 हो सकती है। इन सबको मिलाकर बिहार के मंत्रियों की संख्या 8 हो सकती है। हालांकि काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर होगा कि पहली बार में मोदी अपनी टीम कितनी बड़ी रखते हैं। हालांकि इस बार सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर चलना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala