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क्यों पद्मश्री से नवाजे गए ब्राजील के वेदांत आचार्य जोनास मसेट्टी? जानिए एक विदेशी आचार्य की प्रेरणादायक कहानी

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 30 मई 2025 (13:55 IST)
Who is Acharya Jonas Masetti: भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की सुगंध सदियों से दुनिया के कोने-कोने तक फैली है। इसी सुगंध से आकर्षित होकर कई विदेशी भी भारतीय ज्ञान परंपरा को न केवल अपनाते हैं, बल्कि उसके प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। ऐसे ही एक असाधारण व्यक्तित्व हैं ब्राजील के वेदांत आचार्य जोनास मसेट्टी, जिन्हें 'विश्वनाथ' के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में, भारत सरकार ने उन्हें भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित 'पद्मश्री' पुरस्कार से सम्मानित किया है। आखिर क्या है जोनास मसेट्टी की कहानी और क्यों दिया गया उन्हें यह विशेष सम्मान, आइये जानते हैं:

कौन हैं जोनास मसेट्टी उर्फ 'विश्वनाथ'?
ब्राजील में जन्में जोनास मसेट्टी, जिन्हें आचार्य विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है, का शुरुआती जीवन विज्ञान और वित्त से जुड़ा था। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में digree हासिल करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक स्टॉक मार्केट में काम किया। जल्दी ही इस भौतिकवादी जीवनशैली से उनका मन ऊब गया और उनके भीतर स्वयं को खोजने की एक गहरी इच्छा जागी, जिसने उन्हें आध्यात्मिकता की ओर मोड़ा।

उनकी यह आध्यात्मिक यात्रा उन्हें भारत ले आई, ज्ञान और वैराग्य की भूमि। यहीं उन्होंने वेदांत और योग की गहन शिक्षा प्राप्त की। खासकर, उन्होंने आचार्य दयानंद सरस्वती के आश्रम में वेदांत के गूढ़ सिद्धांतों का अध्ययन किया। आचार्य दयानंद सरस्वती वेदांत के एक महान ज्ञाता थे, और उनके सान्निध्य में जोनास ने भारतीय दर्शन की गहराई को समझा।

भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अतुलनीय योगदान
भारत में वेदांत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, जोनास मसेट्टी अपने देश ब्राजील लौट गए। उनका उद्देश्य सिर्फ ज्ञान प्राप्त करना नहीं था, बल्कि इसे दूसरों तक पहुँचाना भी था। इसी उद्देश्य से उन्होंने ब्राजील के पेट्रोपोलिस में 'विश्व विद्या' नामक एक संस्था की स्थापना की। यह संस्था उनके वेदांत ज्ञान को फैलाने का माध्यम बनी। 'विश्व विद्या' के माध्यम से जोनास मसेट्टी ब्राजील और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में वेदांत, योग, संस्कृत, भगवद् गीता और रामायण का अथक प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उनके व्याख्यान और शिक्षाएं सरलता और गहराई का अद्भुत संगम हैं, जो पश्चिमी दर्शकों के लिए भारतीय दर्शन को समझने में आसान बनाती हैं। उनकी शिक्षाओं से अब तक 1.5 लाख से अधिक छात्र प्रभावित हुए हैं। वे न केवल वेदांत के सिद्धांतों को पढ़ाते हैं, बल्कि उन्हें व्यावहारिक जीवन में कैसे उतारा जाए, इसका मार्गदर्शन भी करते हैं। उनका यह कार्य भारतीय ज्ञान परंपरा को सीमाओं से परे ले जाकर वैश्विक मंच पर स्थापित कर रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं तारीफ
जोनास मसेट्टी के इस अद्वितीय कार्य को भारत सरकार ने भी पहचाना है। 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके प्रयासों की तारीफ ‘मन की बात’ के अंतर्गत कर चुके हैं। इस कार्यक्रम में जोनास की सराहना करते हुए उन्हें प्रधानमंत्री ने 'भारत का सांस्कृतिक राजदूत' कहा था। प्रधानमंत्री का एक ऐसे विदेशी आचार्य का सम्मान करना जो निस्वार्थ भाव से भारतीय ज्ञान और संस्कृति को दुनिया भर में फैला रहे हैं, निश्चित रूप से भारत की 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना को दर्शाता है।

क्या है पद्मश्री पुरस्कार?
पद्मश्री भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक है, जिसे भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट और असाधारण सेवाएँ प्रदान की हैं। यह सम्मान जोनास मसेट्टी जैसे लोगों को उनके निस्वार्थ योगदान के लिए दिया जाता है, जो भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर स्थापित करने में मदद करते हैं।

जोनास मसेट्टी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती और आध्यात्मिकता किसी एक देश या संस्कृति तक सीमित नहीं है। उनका पद्मश्री से सम्मानित होना यह दर्शाता है कि भारतीय ज्ञान परंपरा की वैश्विक अपील कितनी प्रबल है और किस तरह यह विभिन्न देशों के लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है। 'विश्वनाथ' के रूप में जोनास मसेट्टी ने वास्तव में पूरे विश्व को भारतीय ज्ञान के प्रकाश से जोड़ने का प्रशंसनीय कार्य किया है।


 

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