कौन हैं अरुण गोयल, लोकसभा चुनाव से पहले क्यों दिया चुनाव आयोग से इस्तीफा?
गोयल की चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति पर भी हुआ था विवाद
Arun Goyal news in hindi : लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया। निर्वाचन आयोग में पहले से ही चुनाव आयुक्त का एक पद खाली था। गोयल के इस्तीफे के बाद अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं। उनका कार्यकाल 2027 तक था।
क्या है इस्तीफे की वजह : कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, गोयल का इस्तीफा शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, तत्काल यह पता नहीं चला पाया है कि गोयल ने इस्तीफा क्यों दिया। कहा जा रहा है कि उन्होंने निजी कारणों से चुनाव आयोग से इस्तीफा दिया है।
इस्तीफे पर क्या बोली कांग्रेस : कांग्रेस ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे को भारतीय लोकतंत्र के लिए चिंताजनक करार देते हुए कहा कि इस घटनाक्रम के बारे में स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए।
वेणुगोपाल ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सेहत के लिए यह बेहद चिंताजनक बात है कि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस्तीफा दे दिया है। निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था कैसे काम कर रही है? इसमें बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह निर्वाचन आयोग पर दबाव डालती है।
कौन है अरुण गोयल : सेवानिवृत्त नौकरशाह गोयल पंजाब कैडर के 1985-बैच के आईएएस अधिकारी थे। उन्होंने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और इसके अगले ही दिन उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था।
अरुण गोयल दिल्ली विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष, श्रम और रोजगार मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव, वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में संयुक्त सचिव भी रहे हैं। वे संस्कृति मंत्रालय में भी काम कर चुके हैं।
15 माह तक इस पद पर रहे गोयल 4 साल में चुनाव आयोग से इस्तीफा देने वाले दूसरे व्यक्ति है। इससे पहले अगस्त 2020 में अशोक लवासा ने भी पद से इस्तीफा दे दिया था।
नियुक्ति पर भी हुआ था विवाद : गोयल की चुनाव आयोग में नियुक्ति पर काफी हंगामा हुआ था और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा था, 'आखिरकार किस बात की इतनी जल्दबाजी थी, जो वीआरएस लेने के अगले ही दिन अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बना दिया गया।'
शीर्ष अदालत ने कहा था कि कानून मंत्री ने शॉर्टलिस्ट किए गए नामों की सूची में से चार नाम चुने। फाइल 18 नवंबर को विचार के लिए रखी गई और उसी दिन आगे बढ़ा दी गई। यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश कर दी। हम कोई टकराव नहीं चाहते, लेकिन यह सबकुछ बहुत जल्दबाजी में किया गया।
Edited by : Nrapendra Gupta