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कौन हैं अव‍लोकितेश्वर, बौद्ध धर्म और दलाई लामा से क्या है इनका संबंध

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शनिवार, 5 जुलाई 2025 (19:34 IST)
Dalai Lama 90th Birthday:  तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि मुझ पर अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद है। आखिर ये अवलोकितेश्वर हैं कौन और इनका बौद्ध धर्म एवं दलाई लामा से क्या संबंध है? दरअसल, महायान बौद्ध धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बोधिसत्व हैं। उन्हें उन्हें करुणा का बोधिसत्व कहा जाता है, क्योंकि वे संसार के सभी दुखी प्राणियों की सहायता करने के लिए संकल्पबद्ध हैं।
 
अवलोकितेश्वर नाम का अर्थ है जो पीड़ितों की आवाज़ सुनता है। बौद्ध धर्म में उन्हें अनंत करुणा और दया का प्रतीक माना जाता है। तिब्बती बौद्ध धर्म में, दलाई लामा को अवलोकितेश्वर का अवतार माना जाता है। बौद्ध धर्म अवलोकितेश्वर को विभिन्न रूपों में दर्शाया गया है। कभी उन्हें पुरुष के रूप में दिखाया जाता है, तो कभी स्त्री रूप में (जैसे चीन में गुआनिन देवी)। उन्हें अक्सर एक कमल का फूल पकड़े हुए दिखाया जाता है, जो शुद्धता और उद्धार का प्रतीक है। कुछ मूर्तियों में उनके कई सिर और हाथ भी होते हैं, जो उनकी व्यापक पहुंच और सभी प्राणियों को देखने व सहायता करने की क्षमता को दर्शाते हैं।
अवलोकितेश्वर का मंत्र : अवलोकितेश्वर का प्रसिद्ध मंत्र 'ॐ मणि पद्मे हूं' है, जिसका जाप बौद्ध अनुयायी व्यापक रूप से करते हैं। अवलोकितेश्वर महायान बौद्ध धर्म के सबसे लोकप्रिय बोधिसत्वों में से एक हैं और उनकी पूजा दुनिया भर के बौद्ध समुदायों में की जाती है। ऐसी मान्यता है कि अवलोकितेश्वर ऐसे बोधिसत्व हैं जो कि तब तक निर्वाण प्राप्त नहीं करेंगे, जब तक कि संसार के सभी प्राणियों को दुखों से मुक्ति नहीं मिल जाती।
 
इटली के मिलान में मिली थी मूर्ति : फरवरी 2022 में इटली के मिलान अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की पत्थर की बनी मूर्ति मिली थी, जो कि 8वीं से 12वीं शताब्दी की बताई गई थी। अवलोकितेश्वर को अपने बाएं हाथ में एक खिलते हुए कमल के तने को पकड़े हुए खड़ा दिखाया गया है। बौद्ध धर्म में, अवलोकितेश्वर बोधिसत्व हैं, जो सभी बुद्धों की करुणा का प्रतीक है। यह मूर्ति मिलान इटली में होने से पहले फ्रांस में कला बाजार में कुछ समय के लिए सामने आई थी। इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट, सिंगापुर और आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल, लंदन ने चोरी की इस मूर्ति की पहचान और वापसी में तेजी से सहायता की।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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