Photo: Social media
महाराष्ट्र की एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी आजकल काफी चर्चा में है। ये अधिकारी पुणे में तैनात ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर हैं। हालांकि, अब पूजा (Trainee IAS Pooja Khedkar) को महाराष्ट्र के वाशिम में स्थानांतरित कर दिया गया है। उनकी आईएएस बनते ही वे विवादों में आ गई हैं। जानते हैं कौन हैं पूजा खेडकर और क्या है उनसे जुडे विवाद।
पूजा खेडकर का वाशिम में ट्रांसफर : दरअसल, पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को पत्र लिखा और इसके बाद ही खेडकर को वाशिम जिले में ट्रांसफर किया गया। 2023 बैच की आईएएस अधिकारी अपने प्रोबेशन के बचे हुए समय में वाशिम जिले में सपर न्यूमरी असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में काम करेंगी। उन पर यह भी आरोप लगाया गया है कि खेडकर के पिता ने अपनी बेटी की मांगों को पूरा करने के लिए जिला कलेक्टर ऑफिस पर दबाव डाला था। इसके बाद विवाद और बढ़ गया। बता दें कि खेडकर के पिता रिटायर आईएएस अधिकारी हैं और वह अहदमनगर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं।
क्या है आरटीआई कार्यकर्ता का दावा : पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने भी खेडकर की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि वह ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर में नहीं आती हैं क्योंकि उनके पिता के पास 40 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। उन्होंने कहा कि अगर नियमों को देखा जाए तो केवल वे ही व्यक्ति ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर की कैटेगरी में आते हैं। जिनके माता-पिता की इनकम आठ लाख रुपए सालाना होती है। खेडकर के पिता की इनकम 40 करोड़ है। उनके माता-पिता ने हाल ही में लोकसभा चुनाव लड़ा था और हलफनामे में पूरी संपत्ति की जानकारी है।
40 करोड़ रुपए की संपत्ति : आरटीआई कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके पिता दिलीप खेडकर ने अपने लोकसभा चुनाव हलफनामे में 40 करोड़ रुपए की संपत्ति दिखाई है। इतना ही नहीं 49 लाख रुपए की सालाना आय दिखाई है। यह जानकारी सभी जगह पर मौजूद है। उन्होंने कहा कि इससे यह सवाल उठता है कि पूजा खेडकर ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कैटेगरी में कैसे आ सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की सही तरीके से जांच होनी चाहिए कि उनको आईएएस अधिकारी कैसे नियुक्त किया गया है।
कौन हैं पूजा खेडकर : पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो पूजा ने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 841 हासिल की थी। पूजा खेडकर उस समय चर्चा में आई जब उन्होंने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया। इससे भी ज्यादा विवाद तब हुआ जब उन्होंने प्रशासन से ऐसी सुविधाओं की मांग की जो आईएएस में प्रोबेशनरी अधिकारियों को नहीं मिलतीं। पुणे कलेक्टर सुहास दिवसे की सामान्य प्रशासन विभाग को दी गई रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेनी के रूप में ड्यूटी जॉइन करने से पहले ही पूजा ने अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी मुहैया कराने की मांग की। हालांकि, उन्हें ये सुविधाएं देने से मना कर दिया गया। खेडकर के पिता भी सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं। उन्होंने ही कथित तौर पर जिला कलेक्टर कार्यालय पर दबाव डालकर ये मांगे पूरी करने को कहा था। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए भी कथित तौर पर फर्जी विकलांगता और ओबीसी प्रमाण पत्र पेश किया था। इसी के साथ उसने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी दिया था। अप्रैल 2022 में पूजा खेडकर को अपने विकलांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए दिल्ली के एम्स में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने कोरोना होने का दावा करते हुए ऐसा नहीं किया।
Edited By: Navin Rangiyal