- मंदिर में लोगों को बंधक बनाने की मिली थी जानकारी
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लोकेशन मिलते ही IPS ममता सिंह ने शुरु किया रेस्क्यू ऑपरेशन
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पुलिस टीम को लीड कर बंधकों को छुड़ाया
हरियाणा के नूंह में बृजमंडल यात्रा पर पथराव के बाद भड़क उठी हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। करीब 100 से ज्यादा वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया है।
दो पक्षों में हुई हिंसा के बाद कई जिलों में दहशत का माहौल है। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। पूर्व नियोजित इस दंगे का अंदाजा भी नहीं होने की वजह से हरियाणा राज्य सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, वहीं दूसरी तरफ हरियाणा सरकार की एडीजीपी ममता सिंह की जमकर तारीफ हो रही है। अपने काम के लिए हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भी ममता सिंह को बहादुर बताया है।
क्या हुआ था नूंह में : दरअसल, हरियाणा के नूंह समेत और भी इलाकों में फैली हिंसा और दंगों में 4 लोगों की मौत हो गई। 50 से ज्यादा लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं। कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया है। जब यह हिंसा फैली तो यात्रा में शामिल कई पुरुष और बच्चे जगह-जगह फंस गए थे। यह भी कहा जा रहा है कि मंदिर में लोगों को बंधक बनाने की मिली जानकारी थी! मेवात के नल्लहड़ में एक प्राचीन शिव मंदिर है, यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। बृजमंडल की शोभा यात्रा इसी मंदिर में पहुंचना थी। चूंकि यात्रा यहां मंदिर में आना थी इसलिए मंदिर में पहले से ही सैकड़ों लोग वहां पहुंच गए थे। जो लोग यात्रा में शामिल नहीं हुए वो पहले से वहां पहुंचकर यात्रा का इंतजार कर रहे थे। लेकिन इसके पहले कि यात्रा मंदिर तक पहुंचती, पहले ही हिंसा भड़क गई।
जैसे ही यह दंगे भड़के, प्रशासन ने 2 हजार से ज्यादा लोगों को मंदिर में रोक दिया। कई घंटों तक करीब 2500 लोग मंदिर परिसर और आसपास के एरिया में फंसे रहे। दरअसल, अगर वे बाहर आते तो हिंसा और आगजनी का शिकार हो सकते थे। बाहर हिंसा, आगजनी और वाहनों में आग लगाने के दृश्य चरम पर थे। बाद में गृहमंत्री अनिल विज ने पुलिस को मंदिर और दूसरी जगह फंसे लोगों को रेस्क्यू करने के निर्देश दिए। इस रेस्क्यू ऑपरेशन की जिम्मेदारी एडीजीपी ममता सिंह को दी गई। एडीजीपी ममता सिंह की अगुवाई में दंगों के बीच करीब 2500 लोगों को सुरक्षित बाहर निकालकर घर पहुंचाया गया। एडीजीपी ममता सिंह की बनाई प्लानिंग की जमकर तारीफ हो रही है।
कौन हैं एडीजीपी ममता सिंह : ममता सिंह 1996 बैच की आईपीएस हैं। उनके पिता के चाचा घमंडी सिंह आर्य देश के ऐसे पहले आईपीएस थे, जिनकी एक एनकाउंटर में डेथ हो गई थी। उनकी बहादुरी के किस्सों को सुनकर ही ममता भी पुलिस सेवा में भर्ती हो गई।
- बचपन में ममता सिंह डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखती थीं, लेकिन बाद में इन्होंने पुलिस सेवा में जाना चुना।
- ममता सिंह के पति भी आईपीएस अफसर (1990 बैच) हैं, जो हरियाणा कैडर में रह चुके हैं। ममता सिंह की दो बेटियां और एक बेटा है।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित
- एक पुलिस अधिकारी के रूप में ममता सिंह ने छत्तीसगढ़ और झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में काफी काम किया है। यहां उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था।
- ममता सिंह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में डीजीपी रह चुकी हैं।
- उनके कामों को देखते हुए ही गृह मंत्रालय ने उन्हें जेल सुधारों पर बनी कमेटी का सदस्य बनाया था।
- आईपीएस बनने के बाद भी ममता सिंह ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वे एलएलबी समेत दूसरे डिप्लोमा कोर्सेस भी कर चुकी हैं।
Edited By navin rangiyal