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जेपी नड्डा के बाद भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन, 8 दावेदार जिनके हाथों में आ सकती है कमान?

हमें फॉलो करें जेपी नड्डा के बाद भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन, 8 दावेदार जिनके हाथों में आ सकती है कमान?

विकास सिंह

, मंगलवार, 24 सितम्बर 2024 (13:00 IST)
विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई है। भाजपा इस वक्त पूरे देश में  सदस्यता अभियान चला रही है। भाजपा ने सदस्यता अभियान में इस बार 10 करोड़ लोगों को पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। 2 सितंबर को भाजपा सदस्यता अभियान की शुरुआत पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा का सदस्य बनाकर की। इस मौके पर ही पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संगठन चुनाव का एलान करते हुए कहा कि सदस्यता अभियान के बाद पार्टी संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा।

राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कब?-भाजपा का सदस्यता अभियान तीन चरणों में चल रहा है। प्राथमिक सदस्य बनाने हेतु सदस्य अभियान का पहला चरण 2 से 25 सितंबर तक और दूसरा चरण 1 से 15 अक्टूबर तक चलाया जाएगा। सदस्यता अभियान का पहला चरण 25 सितंबर को पूरा हो रहा है।  वहीं भाजपा सक्रिय सदस्य बनने के लिए 16 से 31 अक्टूबर तक सक्रिय सदस्यता अभियान चलाया जाएगा।

सदस्यता अभियान पूरा होने के बाद 1 नवंबर से 15 नवंबर तक भाजपा मंडल अध्यक्षों के चुनाव होंगे। इसके बाद 16 नवंबर से 30 नवंबर तक जिला अध्यक्ष का चुनाव होगा। मंडल और जिला अध्यक्ष चुनाव के बाद राज्य परिषद और केंद्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव किया जाएगा। इसके बाद एक दिसंबर से  प्रदेश अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी और 50 फीसदी राज्यों में चुनाव संपन्न होते ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की आधिकारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। भारतीय जनता पार्टी के संविधान के मुताबिक कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों में संगठन का चुनाव होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। ऐसे में दिसंबर को भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना तय माना जा रहा है।

जेपी नड्डा के बाद कौन बनेगा राष्ट्रीय अध्यक्ष?- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के मोदी 3.0 सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद अब भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, इस पर चर्चा तेज हो गई है। भाजपा की 'एक व्यक्ति, एक पद'  की नीति के अनुसार अब जेपी  नड्डा की जगह नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय है। जून 2019 में जेपी नड्डा को भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष और जनवरी 2020 में पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया।  जेपी नड्डा का बतौर भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल फरवरी में पूरा हो चुका था लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें अध्यक्षीय कार्यकाल का एक्सटेंशन दिया गया था और 30 जून को उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में अब भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर अटकलों का दौर तेज हो गया।

भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर अटकलें लगाई जाने लगी है। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जिस तरह से प्रदर्शन किया है उसने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भाजपा के  लिए आसान नहीं होने वाला है। लोकसभा चुनाव में भाजपा का उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। वहीं लोकसभा चुनाव के बाद जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव चल रहे है जिसके परिणाम भी भाजपा की अंदरूनी सियासत पर बहुत कुछ असर डालेंगे, ऐसे में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इस पर निगाहें लगी है।
 
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दिग्गजों के मोदी सरकार में मंत्री बनने के बाद बढ़ा संशय-भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौड़ में शामिल भाजपा के कई दिग्गजों के मोदी सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने के बाद नए अध्यक्ष के नाम को लेकर संशय बढ़ गया है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम में काफी आगे था लेकिन वह मोदी सरकार में कृषि जैसे अहम विभाग का कामकाज संभाल रहे है। वहीं वहीं हरियाणा के के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और भूपेंद्र यादव का नाम भी अध्यक्ष पद की रेस में था लेकिन वह भी मोदी 3.0 सरकार में मंत्री बन गए।

ऐसे में भाजपा का राष्ट्री कौन होगा यह बड़ा सवाल है। भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर भारत से होगा या दक्षिण भारत से यह भी बड़ा सवाल है। वहीं क्या भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करते समय लोकसभा चुनाव का भी मूल्याकंन करेगी और नया राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश जैसे राज्य से आ सकता है जहां 2027 के शुरुआती चुनाव होना है।

संघ के पंसद वाले इन चेहरों में से बनेगा राष्ट्रीय अध्यक्ष?-भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष संघ की पंसद का नेता होगा। लोकसभा चुनाव में संघ और भाजपा में जिस तरह की दूरियां दिखाई दी और उसका नुकसान पार्टी को देश के सबसे बड़े राज्य में उठाना पड़ा। सियासत के जानकार बताते है कि संघ का कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में घर बैठ गया जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा और वह राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई। ऐसे में अब भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती संघ को साधने की होगी। ऐसे में बहुत संभावना है कि भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष संघ की पसंद का ही नेता होगा।

सुनील बंसल-लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है ऐसे में अब भाजपा का पूरा उत्तर प्रदेश में है। सदस्यता अभियान में उत्तर प्रदेश अब तक एक करोड़ से अधिक सदस्य बनाकर सबसे उपर है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूती देने के लिए उत्तर प्रदेश के प्रभारी रह चुके सुनील बंसल को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। संघ के करीबियों में गिने जाने वाले सुनील बंसल को उत्तर प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना का प्रभारी बनाया गया था। ओडिशा में पार्टी ने 24 साल से सत्ता में काबिज बीजेडी को सत्ता से बेदखल कर पहली बार सरकार बनाने जा रही है। वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान सुनील बंसल ने देश भर में कॉल सेंटरों को भी संभाला, फीडबैक एकत्र किया और जमीन पर पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया।

केशव प्रसाद मौर्य-वहीं उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में जिस तरह से ओबीसी वोटर्स भाजपा से छिटक गया है, उसको देखते हुए भाजपा केशव प्रसाद मौर्य जैसे ओबीसी चेहरों को भी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। केशव प्रसाद मौर्य की गिनती भी संघ के करीबी नेताओं में होती है और 2017 में उत्तर प्रदेश में पार्टी की अगुवाई करते हुए उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय दिया था और पार्टी को  प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लाए थे।

वीडी शर्मा-भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में मध्य प्रदेश भाजपा की कमान संभाल रहे वीडी शर्मा का नाम भी है। लोकसभा चुनाव के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडी शर्मा के संगठन क्षमता की तारीफ की थी। वीडी शर्मा के नेतृत्व में जिस तरह से मध्यप्रदेश भाजपा ने 64 हजार से अधिक बूथ पर पार्टी का मजबूत नेटवर्क किया और बूथों का डिजिटाइलजेशन किया उस मॉडल को देश के अन्य राज्यों में भाजपा ने लागू किया, वह वीडी शर्मा की संगठनात्मक क्षमता को दिखता है। इसके साथ ही वीडी शर्मा के पक्ष में सबसे मजबूत पहलू उनको संघ का समर्थन हासिल होना है। 

विनोद तावड़े-वहीं भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनावी राज्य महाराष्ट्र से भी आ सकता है। महाराष्ट्र में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने है और लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र भाजपा की सीटें काफी कम हो गई है। ऐसे में महाराष्ट्र को अब काफी तवज्जो दी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े जो महाराष्ट्र से आते हैं उनका नाम भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौड़ में है। विनोद तांवड़े ओबीसी समाज से आते हैं, जो वर्तमान में बिहार के प्रभारी महासचिव हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कई जिम्मेदारियां सौंपी थी, जिसका नतीजा ये निकला कि भाजपा बिहार में अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रही। ऐसे में जब अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने है तो पार्टी उन्हें जिम्मेदारी दे सकती है।

अनुराग ठाकुर-भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का नाम भी शामिल है। हिमाचल से आने वाले अनुराग ठाकुर को मोदी 3.0 सरकार में जब मंत्री नहीं बनाया गया तब से उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे है। अनुराग ठाकुर भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके है और मोदी 2.0 सरकार में वह अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके है।

बीएल संतोष-भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष का नाम भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ मे है। बीएल संतोष  आरएसएस के बड़े प्रचारक भी रह चुके हैं और संगठन महासचिव के तौर पर उनकी पार्टी पर तगड़ी पकड़ है। बीएल संतोष को परदे के पीछे रणनीति बनाने में माहिर माना जाता है और अगर भाजपा दक्षिण भारत से किसी चेहरे को आगे करती है तो उसमें बीएल संतोष का नाम सबसे आगे होगा।

के लक्ष्मण-दक्षिण के राज्य तेलंगाना के पूर्व भाजप अध्यक्ष और वर्तमाम में पार्टी के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण भी अध्यक्ष की दौड़ में शामिल है। भाजपा उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर दक्षिण के राज्यों में ओबीसी वोट बैंक को साध सकती है। आंध्र प्रदेश में इस बार बीजेपी गठबंधन की सरकार में सहयोगी है, ऐसे में अब पार्टी की नजर तेलंगाना पर भी होगी.

संजय जोशी- वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का वक्त जैसे जैसे करीब आता जा रहा है वैसे-वैसे नए नाम भी सामने आते जा रहे है। अध्यक्ष की रेस में पिछले दिनों में आरएसएस प्रचारक संजय जोशी का नाम भी तेजी से सामने आया है। संजय जोशी ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के तौर पर पार्टी को काफी मजबूत किया था। 2001 से 2005 के कार्यकाल में उन्होंने भाजपा को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा में मजबूत किया। हलांकि संजय जोशी का नाम कथित सीडी विवाद में आने के बाद उनको पार्टी से किनारे कर दिया था, वहीं भाजपा में मोदी-शाह युग की शुरुआत के बाद संजय जोशी अलग-थलग पड़ गए थे। हलांकि संजय जोशी के समर्थन में संघ पहले की तरह अब भी पूरी मजबूती के साथ खड़ा है।

 
 

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