Photo: social media
-
गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ल से संपर्क के बाद आया अपराध की दुनिया में
-
छात्र राजनीति से शुरू हुआ अपराध का खेल
-
तलाश में प्रदेश के 61 जिलों में चल रही थी छापेमारी
Vinod Upadhyay Encounter: इन दिनों माफिया विनोद उपाध्याय की जमकर चर्चा हो रही है। हाल ही में उसका एनकाउंटर हुआ है। बता दें कि विनोद उपाध्याय छात्र राजनीति के जरिए अपराध की दुनिया में आया था। साल 2002 विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में विनोद ने अपने समर्थन के साथ छात्रसंघ पदाधिकारी का चुनाव एक व्यक्ति को लड़वाया था। चुनाव में उसकी जीत हो गई और उसका नाम चलने लगा।
बता दें कि प्रदेश के 61 व जिले के टॉप 10 में शामिल विनोद उपाध्याय की आठ माह से सरगर्मी से तलाश चल रही थी। मई, 2023 में गुलरिहा थाने में रंगदारी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज होने के बाद से वह फरार चल रहा था। सितम्बर में एडीजी जोन ने उसके ऊपर 1 लाख रुपए इनाम घोषित किया था। विनोद ने चर्चित माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला के सम्पर्क में आने के बाद जरायम की दुनिया में कदम रखा था। उसका अंत भी श्री प्रकाश जैसा ही हुआ।
विनोद का ठिकाना : गोरखपुर में विनोद उपाध्याय ने गुलरिहा के मोगलहा में अपना ठिकाना बनाया था। मूलरूप से वह अयोध्या जिले के माया बाजार स्थित उपाध्याय के पुरवा का रहने वाला था। मई में गुलरिहा व शाहपुर थाने में रंगदारी, धमकी व जालसाजी का केस दर्ज होने के बाद अपने भाई और सहयोगियों संग फरार हो गया।
एक लाख का इनाम : आइजी रेंज ने अगस्त में माफिया के ऊपर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था, लेकिन माफिया को पुलिस पकड़ नहीं सकी। सितम्बर में एडीजी जोन ने इनाम बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया, जिसके बाद उसका नाम मोस्ट वांटेड की लिस्ट में जुड़ा और एसटीएफ की टीम ने सरगर्मी से तलाश शुरू की।
युवाओं को बनाया बायां हाथ : विनोद 2007 पीडब्लूडी कांड के बाद अक्सर चर्चा में रहने लगा। उसके साथ युवाओं की लंबी टीम भी थी। जो इसके साथ लाइसेंसी असलहों को लेकर चलती थी। शादी विवाह हो या अन्य समारोह इस टीम के सदस्यों के दम पर विनोद अपनी पहचान अलग बना लेता था। इसी के साथ के दो अपराधी गंगेज पहाड़ी और दीपक सिंह की हत्या कर दी गई थी।
8 महीने से चल रही थी छापेमारी : विनोद उपाध्याय को पकड़ने के लिए पिछले आठ माह से माफिया के गोरखपुर, अयोध्या, लखनऊ और प्रदेश के अन्य शहरों में स्थित ठिकाने पर छापेमारी चल रही थी। अंत में एसटीएफ टीम को सफलता मिली। अतंत: उसका हश्र भी माफिया श्रीप्रकाश शुक्ल की तरह ही हुआ।
Edited By : Navin Rangiyal