नई दिल्ली, खुदरा महंगाई के बाद अब थोक महंगाई ने भी अप्रैल में कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने मंगलवार को थोक मूल्य आधारित सूचकांक (WPI) के आंकड़े जारी किए, जो नौ साल में सबसे ज्यादा है।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अप्रैल में WPI बढ़कर 15.08 फीसदी पहुंच गई, जो नौ साल का उच्चतम स्तर है। इससे पहले मार्च में WPI 14.55 फीसदी थी।
अगर पिछले साल अप्रैल की बात करें तो थोक महंगाई की दर 10.74 फीसदी थी। अप्रैल के आंकड़ों को मिलाया जाए तो पिछले 13 महीने से थोक महंगाई की दर 10 फीसदी से ऊपर बनी हुई है, जिससे खुदरा महंगाई पर भी दबाव है। इस दौरान खाद्य उत्पादों और ईंधन की कीमतों में बड़ा उछाल दिखा, जिससे कुल थोक महंगाई की दर बढ़ गई।
सरकार ने इससे पहले 12 मई को खुदरा मूल्य आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी किए थे, जो आठ साल के उच्चतम स्तर पर थे। अप्रैल में खुदरा महंगाई की दर 7.79 फीसदी थी, जो मई 2014 के बाद यानी 95 महीनों में सबसे अधिक रही।
रिजर्व बैंक और सरकार महंगाई थामने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ग्लोबल फैक्टर के दबाव में खुदरा और थोक दोनों महंगाई दर बढ़ती जा रही है।
अप्रैल में थोक महंगाई की दर बढ़ाने का प्रमुख कारण ईंधन, ऊर्जा और कमोडिटी की कीमतों में तेजी है। आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में सभी कमोडिटी की महंगाई दर में एक महीने पहले के मुकाबले 2.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
इसके अलावा ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र की थोक महंगाई दर 2.8 फीसदी रही। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की थोक महंगाई दर मार्च के मुकाबले अप्रैल में 1.7 फीसदी बढ़ी।
पूरे WPI बास्केट में मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की हिस्सेदारी 64.23 फीसदी रहती है। सबसे ज्यादा चिंता खाने पीने की वस्तुओं को लेकर है, जिसमें मासिक आधार पर अप्रैल में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। मार्च के मुकाबले इसकी महंगाई दर 3.4 फीसदी बढ़ी है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि खाद्य महंगाई दर बढ़ाने में फल, सब्जियों के अलावा दूध की बढ़ती कीमतों का भी बड़ा योगदान है।
मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की थोक महंगाई दर अप्रैल में 10.85 फीसदी के साथ पांच महीने के शीर्ष पर पहुंच गई। इससे कोर इन्फ्लेशन भी 11.1 फीसदी के साथ चार महीने में सबसे ज्यादा रहा।