मुख्य बिंदु-
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बारिश का चरम रूप है बादल फटना
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पहाड़ी इलाकों में ज्यादा होती हैं बादल फटने की घटनाएं
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भारत में सबसे बड़ी घटना 2010 में लद्दाख में हुई थी
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हिमाचल, उत्तराखंड में ज्यादा होती हैं बादल फटने की घटनाएं
बादल फटना (Cloud Burst) बारिश का एक चरम रूप (Extreme form of Rain) है। इस घटना में भारी बारिश के साथ कभी-कभी गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। दरअसल, 'बादल फटना' मुहावरा बहुत तेज बारिश के लिए भी किया जाता है। इस तरह की बारिश जहां भी होती है तबाही लाती है।
बादल फटने के कारण बहुत ही कम समय में इतनी बारिश होती है कि संबंधित इलाके में बाढ़ जैसी उत्पन्न हो जाती है। आमतौर पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। हालांकि मुंबई में में भी 2005 में बादल फटने की घटना हो चुकी है।
बादल फटने की घटना आमतौर पर पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर घटती है। इसके कारण घंटे भर में 100 मिलीमीटर तक बारिश हो जाती है। इसके कारण भारी तबाही होती है।
क्यों होती हैं बादल फटने की घटनाएं : मौसम विज्ञान के मुताबिक जब बादल भारी मात्रा में आर्द्रता यानी पानी लेकर आसमान में चलते हैं और इस दौरान उनकी राह में कोई अवरोध उत्पन्न हो जाता है तो वे अचानक फट जाते हैं। संघनन या दबाव (Condensation) बहुत तेजी से होता है। ऐसी स्थिति में एक सीमित इलाके में भारी से भी भारी बारिश होती है। इससे क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है।
बादलों की नमी : भारत में मानसून के समय नमी लिए हुए बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं। हिमालय पर्वत इसमें एक बड़े अवरोधक के रूप में सामने पड़ता है। पहाड़ों की ऊंचाई बादलों को आगे नहीं बढ़ने देती है। पहाड़ों के बीच फंसते ही बादल पानी के रूप में परिवर्तित होकर बरसने लगते हैं। यही कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं तुलनात्मक रूप से ज्यादा होती हैं।
गर्म हवा का झोंका : इसके अतिरिक्त जब कोई गर्म हवा का झोंका नमी लिए हुए बादल से टकराता है, तब भी उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है। इस संदर्भ में वर्ष 2005 में मुंबई में हुई बादल फटने की घटना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उस समय बादल गर्म हवा से टकराए थे। इस घटना में पूरा शहर जलमग्न हो गया था। मुंबई में हुई बादल फटने की घटना में करीब 50 लोगों की मौत हुई थी।
सबसे ज्यादा बादल फटने की घटनाएं : दरअसल, भारत में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठे मानसून के बादल जब उत्तर की ओर बढ़ते हैं, तब उनका हिमालय के क्षेत्र में फटने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जब यह बादल हिमालय से टकराकर फटते हैं तो क्षेत्र में 75 मिमी/घंटा की दर से बारिश होती है।
भारत में बादल फटने की घटनाएं हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ज्यादा होती हैं। अगस्त 2010 में लद्दाख क्षेत्र के शहर लेह में सिलसिलेवार ढंग से हुई बादल फटने की घटना में 1000 के लगभग लोगों की मौत हो गई थी तथा पूरा शहर तबाह हो गया था।