मानसून के आते ही खबरों में बादल फटने की घटनाओं का जिक्र मिलने लगता है। यह घटनाें ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में ही देखने को मिलती है। इससे हर साल कई लोग मर भी जाते हैं और संपत्ति का भी बहुत नुकसान होता है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बादल फटने की घटना हुई है जिसमें 4-6 लोगों के बह जाने के समाचार मिले हैं।
चलिए जानते हैं आखिर क्या होता है बादल फटना -
क्या होता है बादल फटना
बारिश गिरने के उच्चतम स्तर को बादल फटना कहते हैं। वैज्ञानिक मत के अनुसार जब एक घंटे में 10 सेंटीमीटर से अधिक बारिश होती है तो वह बादल फटने की श्रेणी में आता है। अचानक इतनी अधिक वर्षा होने से बाढ़ की स्थितियां बन जाती है। इससे जान-माल की बहुत हानि होती है।
क्या है कारण
जैसा की हमें पता है कि बादलों में नमी होती है। जब यह नमी बढ़ती जाती है तो इन बादलों का घनत्व बढ़ जाता है। अधिक भार हो जाने के कारण यह नमी पानी की बूंदों के रूप में गिरती है। इसे हम सभी बारिश होना कहते हैं। पर जब अत्यंत नमी वाले बादल एक जगह पर इकठ्ठा हो जाते हैं, जिससे वहां पानी की बूंदें आपस में मिल जाती है। इससे बादलों का घनत्व बढ़ जाता है और तेज बारिश के साथ पानी गिरने लगता है।
अधिकतर पहाड़ों पर ही क्यों होती है बादल फटने की घटना
दूसरे स्थानों की अपेक्षा बादल फटने की घटना पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलती है। इसका कारण यह है कि यह पानी से भरे बादलों का रास्ता पहाड़ रोक लेते हैं क्योंकि नमी से भारी हो जाने के कारण यह अधिक ऊंचे नहीं उठ पाते हैं । सरल उदाहरण से समझा जाए तो पहाड़ एक दीवार का कार्य करते हैं जिसके कारण बादल आगे नहीं जा पाते। इसी का नतीजा यह होता है कि एक ही स्थान पर बादल रुक जाते हैं और वहीं इकठ्ठा हो जाते हैं। घनत्व (density) अधिक बढ़ जाने के कारण वहां तेज वर्षा होने लगती है। पहाड़ी क्षेत्र में ढलान होने के कारण इस तेजी से गिरते पानी को और गति मिल जाती है जिससे भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं का खतरा भी हो जाता है।