शिमला। हिमाचल प्रदेश में पिछले 5 साल में सड़क किनारे खाई में गिरने (रोल डाउन) से संबंधित 3 हजार से अधिक दुर्घटनाओं में 2,600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस का यह बयान कुल्लू की सैंज घाटी में एक बस के खाई में गिरने के एक दिन बाद आया है, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि इस तरह की दुर्घटनाओं का मुख्य कारण सड़क किनारे अवरोधकों (क्रैश बैरियर) की कमी है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय कुंडू द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, राज्य में सड़क किनारे खाई में गिरने (रोल डाउन) से संबंधित 3,020 दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 2,633 लोगों की मौत हो गई और 6,792 लोग घायल हुए हैं।
बयान के मुताबिक, राज्य में कुल सड़क की लंबाई 38,035 किलोमीटर है, जबकि केवल 520 किलोमीटर पर अवरोधक लगाए गए हैं। बयान के अनुसार, इस तरह की सबसे ज्यादा 973 (32 प्रतिशत) दुर्घटनाएं शिमला में हुईं। इसके बाद मंडी में 425 (14 प्रतिशत) और चंबा और सिरमौर में 306 (10 प्रतिशत) दुर्घटनाएं हुईं।
बयान में कहा गया कि सबसे ज्यादा 869 (33 प्रतिशत) मौत शिमला जिले में हुईं, इसके बाद मंडी में 331 (13 प्रतिशत) और चंबा में 284 (11 प्रतिशत) मौत हुईं।
बयान के अनुसार राज्य के ग्रामीण इलाकों में 2,881 (95 प्रतिशत) सड़क किनारे खाई में गिरने (रोल डाउन) से संबंधित दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 587 (20 प्रतिशत) शाम छह बजे से नौ बजे के बीच हुईं। आंकड़ों के अनुसार, लिंक सड़कों पर 1,679 (56 प्रतिशत) दुर्घटनाएं हुईं। इसके बाद राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर 1,185 (39 प्रतिशत) दुर्घटनाएं हुईं।
इसमें कहा गया है कि 1,264 (42 प्रतिशत) मामलों में तेज़ गति से वाहन चलाना, 641 (21 प्रतिशत) मामलों में खतरनाक तरीके से वाहन चलाना और 609 (20 प्रतिशत) में बिना देखे सड़क पर मुड़ना दुर्घटना के प्रमुख कारण हैं। डीजीपी ने अधिकारियों को यातायात उल्लंघन के मामलों को रोकने के लिए जांच बढ़ाने का भी निर्देश दिया है। (भाषा)