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क्‍यों बदले उद्धव ठाकरे के सुर... पार्टी टूटने का डर या हाथ से सत्‍ता फिसलने की छटपटाहट?

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नवीन रांगियाल

शिवसेना और उद्धव ठाकरे के ‘मातोश्री’ को चुनौती देकर गुवाहटी में जुटे एकनाथ शिंदे और उनके साथ गए विधायकों का जोश अब भी ‘हाई’ है, जबकि दूसरी तरफ साम, दाम, दंड और भेद के साथ ही तमाम राजनीतिक हथकंडों को आजमाने के बाद जब बात नहीं बन सकी तो मंगलवार को उद्धव ठाकरे एंड कंपनी की ठसक कुछ ठंडी पड़ती सी नजर आ रही है।

शिवसेना से शिंदे की बगावत की खबर सुनते ही उद्धव ने इमोशनल कार्ड खेला और सीएम आवास छोड़कर निजी आवास मातोश्री चले गए। लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद वो और उनके सिपहसालार संजय राउत बागी हुए एकनाथ शिंदे और उनके सहयोगी विधायकों को धमकी देने लगे। मुंबई में बैठी शिवसेना ने तोड़फोड़, पोस्‍टरबाजी से लेकर ‘गुवाहाटी से लाशें लौटेंगी’ जैसे बयानों तक क्‍या कुछ नहीं किया और कहा।

अब जब इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा सक्रिय हो गई है, राज ठाकरे से शिंदे के संपर्क की खबरें आ रही हैं और हाथ से सत्‍ता फिसलते नजर आने लगी है तो एक बार फिर सख्‍त और आक्रामकता के लिए जाने जाने वाले उद्धव ठाकरे इमोशनल और नर्म मिजाज होते नजर आ रहे हैं। दरअसल, अब उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर से अपना सुर बदला है। अब वो गुवाहटी में बैठे शिंदे गुट से अपील करते नजर आ रहे हैं।

उन्‍होंने शिवसैनिकों से लौटने की अपील की है। उनके बयानों पर नजर दौड़ाएं तो उन्‍होंने आज जो कहा है, वो उनके और संजय राउत के बयानों से ठीक उलट अर्थ निकल रहे हैं। एनसीपी की सुप्रिया सुले ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है। लेकिन पहले जानते हैं उद्धव ठाकरे ने क्‍या क्‍या कहा।

उद्धव ने बागी हुए शिंदे और विधायकों से कहा कि आप अभी भी दिल से शिवसेना में हैं, इसलिए किसी के झांसे में न आए। अगर कोई भ्रम है तो मेरे सामने आकर बैठें हम मिलकर बात करेंगे। इतना ही नहीं, ठाकरे ने यह भी कहा कि पार्टी प्रमुख के तौर पर मुझे आप लोगों की चिंता है। इसलिए सामने आकर बात करोगे तो कोई रास्‍ता निकलेगा। ठीक इसी क्रम में अब एनसीपी की सुप्रिया सुले भी बयान दे रही हैं। उन्‍होंने कहा कि मिल बैठकर बात करने से ही कोई हल निकल सकेगा।

दरअसल, अब तक इस पूरे एपिसोड पर जमकर हंगामा हुआ है, एक बार तो यह भी लगने लगा कि अगर बागी विधायक और शिंदे मुंबई लौटे तो उनके साथ क्‍या नहीं हो सकता है। ऐसे में उद्धव ठाकरे के बयानों में आए ऐसे बदलावों के पीछे सत्‍ता फिसलने का डर साफ नजर आ रहा है।

उद्धव ठाकरे ने इमोशनल कार्ड प्‍ले करने में कोई कोताही नहीं बरत है। उन्‍होंने यहां तक कह डाला कि आप में से कुछ विधायकों के परिवार के सदस्यों ने भी मुझसे संपर्क किया है और अपनी भावनाओं से मुझे अवगत कराया है। शिवसेना के परिवार के मुखिया के रूप में मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।

बता दें कि एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायक पिछले एक सप्ताह से गुवाहाटी के एक लग्जरी होटल में ठहरे हुए हैं। शिंदे ने होटल के बाहर कहा कि उनके पास 50 विधायकों का समर्थन है। उन्होंने कहा, ये सभी विधायक हिंदुत्व को आगे ले जाने के लिए स्वेच्छा से यहां आए हैं

अचानक से ठंडी होती ठाकरे की ठसक से राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा अब लगातार सरकार बनाने की कवायद करती नजर आ रही है। देवेंद्र फडणवीस और शिंदे की मुलाकात भी एक वजह है। इसके साथ ही लगातार धमकियों और बयानबाजी के बाद भी गुवाहटी में बैठे शिंदे और उनके विधायकों पर कोई फर्क नहीं पडा। साथ ही देवेंद्र फडणवीस जिस तरह से इस मामले में अपनी भूमिका दर्शा रहे हैं, साफ है कि वे बागी शिवसेना और भाजपा के बीच एक पुल की तरह काम कर रहे हैं। मंगलवार को तो उनकी भाजपा अध्‍यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह से मुलाकात की भी चर्चा है। दूसरी तरफ शिंदे राज ठाकरे से भी संपर्क में है। वहीं एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने अब तक सीधे तौर पर उद्धव सरकार को बचाने के लिए कोई रणनीति या चाल नहीं चली है।

ऐसे में जाहिर है कि अब उद्धव अकेले हैं और सत्‍ता बचाने की छटपटाहट सामने आ रही है। साफ है इस मुश्‍किल वक्‍त में भले मन से नहीं तो राजनीतिक मजबूरी की वजह से ही सही, ठाकरे की ठसक कुछ तो ठंडी हुई ही है।

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