आखिर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से क्यों नहीं मिल सके किसान
राहुल गांधी ने कहा- शायद वे किसान हैं इसलिए उन्हें रोका गया
Rahul Gandhi could not meet farmers in Parliament: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मुझे किसानों से नहीं मिलने दिया गया। मैंने उन्हें अपने ऑफिस में मिलने के लिए बुलाया था। उन्हें अंदर नहीं आने दिया गया। वे मुझसे नहीं मिल सके। इस मामले में यह सवाल जरूर उठता है कि क्या किसानों ने संसद में जाने की अनुमति ली थी? क्योंकि संसद में कोई भी बिना अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकता। हालांकि राहुल ने बाद में संसद से बाहर किेसानों से मुलाकात की।
दरअसल, गांधी ने अपने ऑफिस में किसानों को मिलने बुलाया था। जब मीडियाकर्मियों ने उनसे पूछा कि आपसे किसानों को क्यों नहीं मिलने दिया गया? इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका कारण आपको प्रधानमंत्री से पूछना चाहिए। शायद वे किसान हैं, इसलिए उन्हे मुझसे मिलने से रोका गया। कोई बात नहीं हम बाहर मिल लेंगे।
करोड़ों किसानों का अपमान : कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक्स पर पोस्ट में कहा- हमारे नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कुछ किसान भाइयों को मुलाकात के लिए संसद में में बुलाया था। लेकिन देश के अन्नदाताओं को संसद में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई। यह लोकतंत्र के लिए कितनी चिंता का विषय है कि अन्नदाता किसानों को संसद में नेता प्रतिपक्ष से मिलने जाने की अनुमति भी नहीं दी जा रही। यह देश के करोड़ों किसानों का अपमान है।
क्या कहते हैं लोग : इस घटना को लेकर एक्स पर लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया जाहिर की। ओसीन जैन ने लिखा- यह संसद है, कुछ मर्यादा होती है। सुरेन्द्र राजपूत ने लिखा- किसानों से मोदी जी खुद तो मिलने की हिम्मत नहीं रखते...हमारे लीडर को भी मिलने नहीं देना चाहते....मगर भूल जाते हैं कि उनके सामने और किसानों के साथ राहुल गांधी हैं...
अभय प्रताप सिंह ने लिखा- संसद भवन में किसी को भी बुला लोगे? किसी योग्य व्यक्ति से ट्रेनिंग लेनी चाहिए कि संसद की मर्यादा क्या होती है और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी क्या होती है। राहुल यादव ने राहुल गांधी का समर्थन करते हुए लिखा- अब साहब को किसानों से क्या दुश्मनी है। पूरे देश को अन्न उगाकर खिला रहे हैं। उनको अंदर आने से रोकना गलत है। किसान भी अपने नेता से मिल सकते हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala