महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के लिए ‘मध्यप्रदेश फॉर्मूला’, क्या बच पाएगी उद्धव ठाकरे सरकार?
महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन की पटकथा कमोबेश कुछ उसी तरह लिखी जा रही है जैसे दो साल पहले मार्च 2020 में मध्यप्रदेश में लिखी गई थी।
मध्यप्रदेश से सटा राज्य महाराष्ट्र अब सियासी उठापटक यानि सत्ता परिवर्तन के मामले में मध्यप्रदेश के राह पर आगे बढ़ता दिख रहा है। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन की कोशिशों की सियासी पटकथा कुछ ठीक उसी तरह लिखी जा रही है जैसे दो साल पहले मार्च 2020 में मध्यप्रदेश में लिखी गई थी। मार्च 2020 में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के 22 विधायक अचानक से कर्नाटक के बंगलुरू पहुंच गए थे और देखते ही देखते मध्यप्रदेश से कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की विदाई हो गई थी और भाजपा ने फिर से सत्ता में वापसी कर ली थी।
शिवसेना में नंबर-2 एकनाथ शिंदे की बगावत-मध्यप्रदेश में जिस तरह कमलनाथ के बाद कांग्रेस में नंबर-2 की हैसियत रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत की थी ठीक उसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बाद नंबर-2 नेता की हैसियत रखने वाले एकनाथ शिंदे ने बगावत की है। शिवसेना के संकट मोचक कहे जाने वाले और विधानसभा में शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर के बाद अब उद्धव सरकार के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है।
एकनाथ शिंदे का हिंदुत्व कार्ड-शिवेसना में नंबर-2 की हैसियत रखने वाले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे 26 विधायकों के साथ भाजपा के गढ़ गुजरात के सूरत पहुंचे है। एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 13 विधायक बताए जा रहे है वहीं अन्य विधायक निर्दलीय और अन्य पार्टियों के है। सूरत पहुंचे इन सभी विधायकों के भाजपा से संपर्क में होने की खबरें है। वहीं बगावत के बाद एकनाथ शिंदे ने हिंदुत्व का कार्ड खेलते हुए अपने पहला रिएक्शन ट्वीट के जरिए देते हुए कहा है "हम बालासाहेब के पक्के शिव सैनिक हैं। बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है। बालासाहेब के विचारों और धर्मवीर आनंद दिघे साहब की शिक्षाओं के बारे में सत्ता के लिए हमने कभी धोखा नहीं दिया और न कभी धोखा करेंगे।"
माना जा रहा है कि शिंदे ने हिंदुत्व का कार्ड चल उद्धव सरकार को घेरने का काम किया है। वहीं उन्होंने इशारों ही इशारों में भाजपा के करीब होने का संकेत भी दे दिया है। ऐसे में अब कमोबेश मध्यप्रदेश की तर्ज पर महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन की पटकथा लिखी जा रही है।
एकनाथ शिंदे पर बड़ी कार्रवाई-अपने संकटमोचक की बगावत के बाद अब उद्धव सरकार मुश्किलों में घिर गई है। डैमेज कंट्रोल के लिए और नाराज विधायकों को वापस अपने खेमे में लाने के लिए मुंबई में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर पर लगातार सियासी मंथन चल कहा है। इस बीच शिवेसना ने बढ़ा फैसला लेते हुए एकनाथ शिंदे को पार्टी विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया है।
कांग्रेस में डैमेज कंट्रोल की कमान कमलनाथ को- महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी के प्रमुख घटक दल कांग्रेस में संभावित किसी टूट को रोकने के लिए मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पार्टी ने पर्यवेक्षक बनाया है। बताया जा रहा है कि कमलनाथ बुधवार को मुंबई जा सकते है। वहीं महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं ने दावा किया है कि कांग्रेस के सभी विधायक पूरी तरह एकजुट है।
फिर संकटमोचक बनेंगे शरद पवार?- महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच दिल्ली में सियासी गहमहमी तेज हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के बीच लंबी बैठक के बाद भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक होने की भी खबरें आ रही है। उधर उद्धव सरकार के संकटमोचक माने जाने एनसीपी चीफ शरद पवार ने साफ कर दिया है कि वह पूरी तरह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ है। शरद पवार ने महाराष्ट्र के सियासी संकट पर कहा है कि यह शिवसेना का अंदरूनी मामला है औऱ शिवसेना को उसको हल करना चाहिए। शरद पवार ने जल्द पूरे मामले को सुलझाने का दावा किया है।
भाजपा की राह कितनी आसान?- महाराष्ट्र की वर्तमान सियासी हालात को देखे तो 288 सदस्यीय विधानसभा में मौजूदा समय में 287 सदस्य है। ऐसे में अगर भाजपा सरकार बनाने क लिए आगे आती है तो उसके 144 विधायकों का समर्थन हासिल करना होगा। महाराष्ट्र में शिवसेना के 55 विधायक है और दलबदल कानून से बचने के लिए एकनाथ शिंदो को 37 विधायकों के साथ बगावत करनी होगी लेकिन वर्तमान सियासी हालात में ऐसा संभव नहीं दिख रहा है। विधानसभा में भाजपा के वर्तमान में 113 विधायक है और वहीं पांच अन्य निर्दलीय विधायक भी भाजपा के खेमे है।
इसी बीच महाराष्ट्र में भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने विधान परिषद चुनाव में जीत के बाद कहा कि विधान परिषद चुनाव में भाजपा को 134 विधायकों को समर्थन मिला है। ऐसे में अगर आंकड़ों को देखा जाए तो भाजपा को बहुमत के लिए 10 और विधायकों को समर्थन चाहिए।
2019 में भी सत्ता परिर्वतन की असफल कोशिश-शिवसेना के दिग्गज नेता की बगावत के बाद महाराष्ट्र में उद्धव सरकार मुश्किलों में फंस गई है। ऐसा नहीं है कि उद्धव सरकार पहली बार सियासी भंवर में फंसी है इससे पहले नवंबर 2019 में एनसीपी नेता अजित पवार की बगावत के बाद भी उद्धव सरकार मुश्किलों में फंसी थी। उस वक्त एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने डैमेज कंट्रोल करते हुए फिर से उद्धव ठाकरे को फिर से मुख्यमंत्री बना दिया था। वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने आज कहा कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है लेकिन भाजपा को याद रखना चाहिए महाराष्ट्र मध्यप्रदेश औऱ राजस्थान से अलग है।