2014 के लोकसभा चुनाव के पहले शायद ही किसी पार्टी या राजनेता ने सोशल मीडिया का इतना उपयोग किया होगा, जितना भाजपा और उस समय प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए नरेन्द्र मोदी ने किया था। 2009 में शशि थरूर ऐसे एकमात्र भारतीय नेता थे, जो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव थे। 2014 में नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया की ताकत को समझा और उसे वोटों में तब्दील किया। फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि 2020 तक आते-आते सोशल मीडिया से उनका मोहभंग हो रहा है।
पीएम के ट्वीट के बाद इस बात की अफवाहों का बाजार भी गर्म होने लगा कि भारत खुद का सोशल मीडिया प्लेटफार्म ला सकता है और प्रधानमंत्री सिर्फ इस पर ही एक्टिव रहेंगे और जनता तक अपनी बात पहुंचाएंगे। मोदी स्वदेशी और डिजिटल दोनों बातें हमेशा कहते हैं।
ऐसे में हो सकता है कि भारत का अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लांच होने वाला हो और शायद इसे देखते हुए पीएम मोदी ने यह निर्णय लिया हो। हालांकि ऐसी सिर्फ अटकलें लगाई जा रही हैं। सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे ट्विटर पर दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेता हैं।
ट्विटर पर पीएम मोदी के 53.3 मिलियन फॉलोअर्स हैं, वहीं फेसबुक पर 4 करोड़ 47 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। इंस्टाग्राम पर उनके 35.2 मिलियन फॉलोअर्स हैं। यू-ट्यूब पर पीएम मोदी के चैनल पर 4.5 मिलियन सब्सक्राइबर्स हैं।
चीन में फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप जैसी सोशल साइट्स पर प्रतिबंध है और उसने वीचैट, क्यूक्यू और वीबो जैसी सोशल साइट्स बनाई हैं तो क्या भारत सरकार भी अपना एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म लांच करने वाली है।
ऐसी कई तरह की अटकलें सोशल मीडिया पर लगाई जा रही हैं। जब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ट्वीट के राज का खुलासा नहीं करते तब तो केवल इंतजार ही किया जा सकता है।