Who will become Chief Minister of Delhi: दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम 8 फरवरी को घोषित हो चुके हैं, लेकिन भाजपा अब तक मुख्यमंत्री पद के नाम की घोषणा की नहीं कर पाई है। कई नाम सामने आए और फिर पीछे भी चले गए। लेकिन, अंतिम नाम अभी तक सामने नहीं आया। अब चर्चा है कि भाजपा किसी ऐसे विधायक को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना सकती है, जो मूलत: बिहार का रहने वाला हो। ऐसा करके भाजपा एक तीर से दो निशाने साध सकती है। इस वर्ष के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। यदि पूर्वांचली दिल्ली का मुख्यमंत्री होता है तो निश्चित ही भाजपा को बिहार विधानसभा चुनाव में फायदा हो सकता है।
मनोज तिवारी का भी नाम : यूं तो सबसे पहले दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए तेजी से उभरा था। चूंकि उन्होंने दिल्ली के पूर्व सीएम और आप संयोजक अरविन्द केजरीवाल को नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव में हराया था, इसलिए स्वाभाविक तौर पर उनका नाम उठना भी था। लेकिन, भाजपा की आदत लोगों को चौंकाने की रही है, इसलिए यह नाम भी धीरे-धीरे नैपथ्य में चला गया। अब अचानक से पूर्वांचली नेताओं के नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आए हैं, इनमें तीन विधायक हैं, जबकि एक सांसद मनोज तिवारी का नाम भी है। भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता खेसारी लाल यादव ने भी कहा है कि मनोज तिवारी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। दूसरी ओर, दिल्ली में महिला और दलित मुख्यमंत्री बनाने की बात भी सामने आ रही है।
ALSO READ: कैसे आप को दिल्ली से बेदखल किया कांग्रेस ने, 4 पॉइंट में समझिए
ये हैं प्रमुख दावेदार : दरअसल, पूर्वांचली बहुत इलाके में भाजपा को इस बार अच्छी सीटें मिली हैं। इनमें तीन नाम प्रमुखता से सामने आए हैं। इनमें अभय वर्मा, डॉ. पंकज कुमार सिंह और चंदन कुमार चौधरी। वर्मा पेशे से वकील हैं और मूलत: बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं। वे वर्तमान में दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष भी हैं। लक्ष्मीनगर विधानसभा सीट पर उन्होंने 11 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है। इसी तरह, विकासपुरी से चुनाव जीतने वाले डॉ. सिंह का ताल्लुक बक्सर से है। उनके पिता दिल्ली में एडिशनल कमिश्नर रह चुके हैं। मूलत: खगड़िया के रहने वाले चंदन चौधरी संगम विहार से चुनाव जीते हैं। इनमें अभय वर्मा की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। एक तो वे संगठन से जुड़े हुए हैं, दूसरे आप की लहर में भी वे लक्ष्मीनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
ALSO READ: कांग्रेस केवल नेहरू-गांधी परिवार की सेवा कर रही, 2014 से दिल्ली चुनाव में खाता भी नहीं खोल सकी : अमित शाह
पूर्वांचली सीएम इसलिए भी जरूरी : महाराष्ट्र की तर्ज पर भाजपा इस बार बिहार में भी चाहेगी कि मुख्यमंत्री उसका हो। वर्तमान में बिहार में भाजपा के विधायकों की संख्या ही सबसे ज्यादा है। यदि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के सदस्यों की संख्या ज्यादा होती है तो निश्चित ही मुख्यमंत्री भाजपा अपना बनाना चाहेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो महाराष्ट्र का इतिहास बिहार में दोहराया जाएगा। यदि दिल्ली में भी बिहार मूल का कोई मुख्यमंत्री होगा तो इसका लाभ भाजपा को मिलना तय है। हालांकि अभी यह अटकलों का ही दौर है। कोई और चेहरा लाकर भी भाजपा सबको चौंका सकती है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala