Sheikh Hasina sentenced to death in Bangladesh: बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद और मोहम्मद यूनुस द्वारा देश में अंतरिम सरकार की कमान संभालने के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में काफी कड़वाहट आई है। यूनुस के आने के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियां बढ़ गई हैं साथ ही वहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार भी बढ़े हैं। बांग्लादेश की अदालत ने शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है। हसीना इस समय भारत में है और यूनुस सरकार ने भारत से हसीना को सौंपने को कहा है। हालांकि भारत हसीना को बांग्लादेश के हवाले नहीं करेगा। इसके चलते दोनों देशों के रिश्तों में और दूरियां पैदा हो सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी माना है और उन्हें तथा पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान को मौत की सजा सुनाई है। शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को पद से इस्तीफा देकर बांग्लादेश छोड़ दिया था। वे इस समय दिल्ली में किसी सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं।
क्या भारत हसीना को सौंप सकता है? : भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 से एक द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि है। यह एक बहुत ही जटिल कानूनी और राजनीतिक मामला है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सौंपने के लिए भारत से औपचारिक अनुरोध किया है, लेकिन भारत उन्हें प्रत्यर्पित करने के लिए बाध्य नहीं है। हालांकि भारत के लिए यह 'धर्मसंकट' की स्थिति है, लेकिन शेख हसीना की जान बचाना भी भारत का धर्म है।
बांग्लादेश का तर्क है कि ICT द्वारा हसीना को 'मानवता के खिलाफ अपराध' के लिए मौत की सजा सुनाए जाने के बाद, संधि के तहत भारत का यह अनिवार्य दायित्व है कि वह उन्हें सौंप दे। माना जा रहा है कि भारत हसीना को बांग्लादेश सरकार के हवाले नहीं करेगा। क्योंकि हसीना के दौर में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते सबसे अच्छी स्थिति में थे।
भारत के पास क्या विकल्प : हालांकि 2013 की प्रत्यर्पण की संधि में कुछ ऐसे बिन्दु भी हैं, जिनके आधार पर भारत बांग्लादेश को हसीना सौंपने से पूरी तरह इंकार कर सकता है। संधि का अनुच्छेद 6 कहता है कि यदि अपराध 'राजनीतिक चरित्र' का है, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। चूंकि हसीना ने खुद इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है और कई भारतीय विशेषज्ञ भी इसे राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देखते हैं, भारत इस प्रावधान का उपयोग कर सकता है।
संधि के अनुच्छेद 8 के तहत यदि भारत को यह लगता है कि प्रत्यर्पण करना 'अन्यायपूर्ण या दमनकारी' होगा या यदि आरोप सद्भावनापूर्वक नहीं लगाए गए हैं तो भी इंकार किया जा सकता है। भारत यह तर्क दे सकता है कि बांग्लादेश लौटने पर उन्हें निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी या उन्हें राजनीतिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है। 'मानवता के खिलाफ अपराध' की परिभाषा और व्याख्या को लेकर भारत अपने तर्क रख सकता है।
'दोस्त' का साथ देगा भारत : शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध बहुत मजबूत रहे हैं। भारत उन्हें अपना एक विश्वसनीय सहयोगी मानता रहा है, जिसने सीमा सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग किया। इस बीच, भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर सीधे प्रत्यर्पण पर टिप्पणी नहीं की है, बल्कि यह कहा है कि भारत बांग्लादेश के लोगों के शांति, लोकतंत्र और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है और वह सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ा रहेगा।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala