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Tejaswi Yadav: क्या बिहार चुनाव में नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार का चक्रव्यूह तोड़ पाएंगे तेजस्वी यादव?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 9 जुलाई 2025 (12:15 IST)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव को विपक्ष में बैठना पड़ा था। एक बार फिर विधानसभा चुनाव में उनकी अग्निपरीक्षा होने वाली है। चूंकि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का स्वास्थ्य अनुकूल नहीं है, ऐसे में पार्टी और महागठबंधन का पूरा भार उन्हीं के कंधों पर है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बिहार में कितना जादू चलेगा, यह कहना फिलहाल मुश्किल है। पिछले चुनाव में महागठबंधन में सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस का रहा था। कांग्रेस 70 में से सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई थी। 
 
इन दिग्गजों से टकराना आसान नहीं : दूसरी ओर, ‍सत्ता पक्ष में एक से एक दिग्गज और भीड़जुटाऊ नेता हैं। स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, इनके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी, चिराग पासवान समेत और भी कई ऐसा नेता हैं, जो अपना प्रभाव रखते हैं। इस बार चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर भी मैदान में होंगे। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वे किसका खेल खराब करेंगे। इस बार एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी विपक्षी गठबंधन की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। वे महागठबंधन में रहेंगे, इसका फैसला होना अभी बाकी है। ओवैसी की पार्टी ने पिछले चुनाव में 5 सीटें जीती थीं। ऐसे में उन्हें कमतर नहीं माना जा सकता। 
 
कांग्रेस अब भी असमंजस में : हालांकि तेजस्वी को अपने एम-वाय (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर पूरा भरोसा है, लेकिन उनकी राह आसान नहीं रहने वाली है। क्योंकि इस उनके अपने भाई तेजप्रताप भी उनसे नाराज चल रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि वे अपने भाई यानी तेजस्वी को मुख्‍यमंत्री बनाने के लिए काम करेंगे। हालांकि तेजस्वी यादव महागठबंधन में मुख्‍यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार हैं। लालू यादव ने भी उन्हें इस पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि, महागठबंधन में अन्य दलों विशेषकर कांग्रेस के भीतर इस पर पूरी सहमति अभी तक नहीं बन पाई है। कांग्रेस के कुछ नेता अभी भी तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने पर चुप्पी साधे हुए हैं। दूसरी ओर, वामपंथी दलों को तेजस्वी के नाम पर कोई आपत्ति नहीं है। 
 
कैसे टूटेगा चक्रव्यूह : नीतीश कुमार की राजनीतिक अस्थिरता और पाला बदलने की प्रवृत्ति बिहार में एनडीए को मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री पद को लेकर आने वाले समय खासकर चुनाव के बाद खींचतान की प्रबल संभावना है। नीतीश की वर्तमान स्थिति तेजस्वी को फायदा पहुंचा सकती है। लेकिन, आगामी चुनाव उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, नीतीश कुमार, जीतनराम मांझी, चिराग पासवान आदि दिग्गज नेताओं के चक्रव्यूह को कैसे तोड़ पाएंगे? क्योंकि बिहार चुनाव में न सिर्फ तेजस्वी यादव बल्कि नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। भाजपा और जेडीयू चुनाव जीतने के लिए पूरा दम लगाएंगे और कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। 
 
तेजस्वी का राजनीतिक करियर : क्रिकेट के पिच पर असफल रहे तेजस्वी यादव राजनीति के मैदान में अच्छे खिलाड़ी साबित हुए हैं। वर्तमान में वे राघोपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू यादव और पूर्व मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी के बेटे तेजस्वी 20 नवंबर 2015 से 26 जुलाई 2017 तक उपमुख्यमंत्री रहे। इसके बाद, वह 10 अगस्त 2022 से 28 जनवरी 2024 तक फिर से उपमुख्यमंत्री बने। वे नीतीश कैबिनेट में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, सड़क निर्माण, आवास और शहरी विकास और ग्रामीण कार्य जैसे कई महत्वपूर्ण विभाग संभाल चुके हैं। तेजस्वी आईपीएल टीम दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ से क्रिकेट भी खेले हैं। 
 
पिछले चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन : पिछले चुनाव में तेजस्वी के नेतृत्व में राजद राज्य में सबसे बड़ी पार्टी (75 सीट) बनकर उभरी थी। हालांकि महागठबंधन 110 सीटों (बहुमत से 12 सीट दूर) पर सिमट गया था। राजद के उम्मीदवार 144 सीटों पर लड़े थे, जबकि सीपीआई-एमएल 19 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 सीटें जीतने में सफल रही थीं। सीपीआई और सीपीआई (एम) भी दो-दो सीटें जीतने में सफल रही थीं। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी रही थी। 70 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस महज 19 सीटें ही जीत पाई थी। बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala   

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