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बड़ा फैसला, हाजी अली मजार तक जा सकेंगी महिलाएं

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मुंबई , शुक्रवार, 26 अगस्त 2016 (11:21 IST)
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि महिलाएं हाजी अली की दरगाह में मजार तक जा सकेंगी। हाजी अली दरगाह न्यास इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देना चाहता है और न्यास की ओर से दायर याचिका के कारण अदालत ने अपने इस आदेश पर 6 हफ्ते के लिए रोक लगा दी है।
 
 
 
 
न्यायमूर्ति वीएम कानाडे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की खंडपीठ ने कहा कि हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर लगाया गया प्रतिबंध भारत के संविधान की धारा 14, 15, 19 और 25 का विरोधाभासी है। इन धाराओं के तहत किसी भी व्यक्ति को कानून के तहत समानता हासिल है और अपने मनचाहे किसी भी धर्म का पालन करने का मूलभूत अधिकार है। ये धाराएं धर्म, लिंग और अन्य आधारों पर किसी भी तरह के भेदभाव पर पाबंदी लगाती हैं और किसी भी धर्म को स्वतंत्र रूप से अपनाने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने की पूरी स्वतंत्रता देती हैं।
 
दरगाह के मजार वाले हिस्से (गर्भगृह) में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को जाकिया सोमन और नूरजहां नियाज ने चुनौती दी थी। खंडपीठ ने उनकी याचिका को भी स्वीकार कर लिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार और हाजी अली दरगाह न्यास को दरगाह में प्रवेश करने वाली महिलाओं की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित करना होगा। इस साल जून में उच्च न्यायालय ने याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
 
इस याचिका में कहा गया है कि कुरान में लैंगिक समानता अंतरनिहित है और पाबंदी का फैसला हदीस का उल्लंघन करता है जिसके तहत महिलाओं के मजारों तक जाने पर कोई रोक नहीं है। 
 
महाराष्ट्र सरकार ने पहले अदालत में कहा था कि हाजी अली दरगाह के मजार वाले हिस्से में महिलाओं के प्रवेश पर रोक तभी होनी चाहिए जबकि कुरान में ऐसा उल्लेख किया गया हो। 
 
महाराष्ट्र के तत्कालीन महाअधिवक्ता श्रीहरि अनेय ने तर्क दिया था कि किसी विशेषज्ञ द्वारा कुरान की व्याख्या के आधार पर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को न्याययंगत नहीं ठहराया जा सकता।
 
दरगाह न्यास ने अपने फैसले का यह कहते हुए बचाव किया था कि कुरान में यह उल्लेख है कि किसी भी महिला को पुरुष संत की दरगाह के करीब जाने की अनुमति देना गंभीर गुनाह है।
 
न्यास की ओर से पेश अधिवक्ता शोएब मेमन ने पहले कहा था कि सऊदी अरब में मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत नहीं है। इबादत करने के लिए उनके लिए अलग स्थान की व्यवस्था है। हमने (न्यास) उनके प्रवेश पर रोक नहीं लगाई है। यह नियम केवल उनकी सुरक्षा के लिए है। न्यास केवल दरगाह का प्रबंध ही नहीं देखता है बल्कि धर्म से संबंधित मामलों को भी देखता है। 

फैसला ऐतिहासिक : भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई ने दक्षिण-मध्य मुंबई स्थित प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह के मुख्य स्थल में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के बांबे उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। देसाई ने यहां कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। बंबई उच्च न्यायालय की ओर से हाजी अली दरगाह के मुख्य स्थल में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटाया जाना महिलाओं की जीत है। सुश्री देसाई ने कहा कि अन्य महिलाओं के साथ इस सप्ताह वह दरगाह का दौरा करेंगी और देश के विभिन्न शहरों में महिलाओं के खिलाफ जारी भेदभाव के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगी। (एजेंसियां)

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