मामल्लापुरम (महाबलीपुरम) में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्र शी जिनपिंग के बीच मुलाकात होने जा रही है। यह प्राचीन शहर अपने गौरवशाली इतिहास और मंदिरों के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जा रहा है कि वार्ता स्थल के महाबलीपुरम का नाम चीन की ओर से ही सुझाया गया था।
इस स्थान का चीन से बहुत पुराना रिश्ता है। 18वीं सदी में यहां के पल्लव राजा और तत्कालीन चीनी शासक के बीच सुरक्षा समझौता हुआ था। सातवीं सदी में चीनी प्रतिनिधिमंडल भी यहां आया करता था।
यूं तो पल्लवों की राजधानी कांचीपुरम थी, लेकिन महाबलीपुरम को उनकी दूसरी राजधानी के नाम से जाना जाता था। सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेनसांग कांचीपुरम आया था।
महाबलीपुरम उस काल में बड़ा व्यापारिक और सांस्कृतिक केन्द्र था। पल्लव साम्राज्य से विदेशों से व्यापारिक संबंध थे, इनमें चीन भी शामिल था।
महाबलीपुरम शहर यूनेस्को की हेरिटेज लिस्ट में शामिल ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। एक पत्थर को काटकर बनाया गया रथ और यहां के मंदिर काफी आकर्षक हैं।
सातवीं सदी में पल्लव राजा नरसिंह देव वर्मन महामल्लम थे। उन्हीं के नाम पर इस शहर के नाम मामल्लापुरम नाम पड़ा।
यहां चट्टानों को काटकर बनाए गए ज्यादातर मंदिर शैव परंपरा पर आधारित हैं। इस खूबसूरत शहर को मंदिरों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु ने असुर राजा महाबली के के अंत के लिए वामन अवतार लिया था।
(सभी फोटो : सारंग क्षीरसागर, वेबदुनिया)