Jammu Kashmir news : लद्दाख में चीन सीमा तक सारा साल पहुंच के लिए सामरिक महत्व की जोजिला टनल (Jojila tunnal) का जो काम वर्ष 2020 के अक्टूबर माह में शुरू हुआ था उसके पूरा हो जाने के बाद श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर खतरों से जूझना रूक जाएगा क्योंकि यह टनल न सिर्फ यात्रा समय में कटौती कर देगी बल्कि खतरा भी पूरी तरह से खत्म कर देगी। इस टनल को बनाने में केंद्र सरकार 6809 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
करीब 11578 फीट की ऊंचाई पर बनने वाली ये टनल बेहद आधुनिक होगी। इस टनल की लंबाई 14.15 किलोमीटर होगी। करगिल में बनने वाली जोजिला टनल हर लिहाज से दुनिया के सबसे आधुनिक सुरंगों में से एक होगी।
करगिल के जोजिला दर्रे को दुनिया का सबसे खतरनाक दर्रा माना जाता। टनल के बनने से एक तो इसे पार करने का जोखिम कम होगा और जो दूरी को तय करने में तीन घंटे लगते थे वो महज 15 मिनट में पूरी हो जाएगी।
जोजिला सुरंग, श्रीनगर, करगिल और लेह को आपस में जोड़ने में मददगार होगी। सुरंग से सेना को न सिर्फ चीन सीमा बल्कि पाकिस्तान की सीमा पर भी जवानों की तैनाती में मदद मिलेगी।
जोजिला टनल का निर्माण सेना और सिविल इंजीनियरों की टीमें पहाड़ों को काट कर इस सुरंग बना रही है। इस सुरंग के पूरी तरह से बन जाने से श्रीनगर और लेह के बीच पूरे वर्ष भर संपर्क सुविधा मिलेगी। सुरंग बनाने की प्रक्रिया में विस्फोटकों के जरिए पत्थरों को हटाकर पहले रास्ता बनाया जाता है। सुरंग निर्माण अपने आप में इंजीनियरिंग विधा की नायाब कृति है।
जोजिला टनल की खासियत यह है कि श्रीनगर करगिल लेह नेशनल हाईवे पर 11, 578 फीट ऊंचाई पर बनने वाली इस टनल की कुल लंबाई करीब 14.5 किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर श्रीनगर घाटी और लेह के बीच यह सुरंग द्रास और करगिल होते हुए सभी मौसम में संपर्क सुविधा उपलब्ध कराएगी। अगर मौजूदा समय की बात करें तो इस रूट पर आवागमन सिर्फ 6 महीने उपलब्ध रहता है।
लद्दाख, गिलगिट और बालटिस्तान के करीब होने से इसका सामरिक महत्व भी है। जोजिला सुरंग परियोजना से करगिल, द्रास और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की तीन दशक पुरानी मांग पूरी होगी। श्रीनगर-लेह खंड में यात्रा हिमस्खलन का खतरा नहीं होगा। यात्रा में लगने वाले समय में कमी आएगी।
ठंड के दिनों में हिमपात की वजह से जोजिला दर्रा बंद रहता है। यह दुनिया में वाहनों के परिचालन के लिहाज से सवार्धिक खतरनाक मार्गों में से एक है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद भारत की न केवल आर्थिक क्षमता में इजाफा होगा, बल्कि सामरिक क्षमका में भी वृद्धि होगी।