Durga mandir: भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू में स्थित प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल वैष्णो देवी के मंदिर में माता के दर्शन के लिए नवरात्रि में लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। वैष्णो देवी उन्हें इसलिए कहते हैं क्योंकि माता का यह वैष्णवी रूप है, परंतु उनका असली नाम क्या है? क्या आप जानते हैं?
मां वैष्णो देवी का असली नाम क्या है?
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जम्मू राज्य के कटरा के पास त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित एक गुफा में माता वैष्णो देवी की स्वयंभू तीन मूर्तियां हैं।
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देवी काली (दाएं), सरस्वती (बाएं) और लक्ष्मी (मध्य), पिण्डी के रूप में गुफा में विराजित हैं।
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इन तीनों पिण्डियों के सम्मिलित रूप को वैष्णो देवी माता कहा जाता है।
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इस स्थान को माता का भवन कहा जाता है। पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है।
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इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है।
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इस चबूतरे पर माता का आसन है जहां देवी त्रिकुटा अपनी माताओं के साथ विराजमान रहती हैं।
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कहते हैं कि बचपन में माता का नाम त्रिकुटा था।
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बाद में उनका जन्म भगवान विष्णु के वंश में हुआ, जिसके कारण उनका नाम वैष्णवी कहलाया।
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उन्हें माता रानी, वैष्णवी, दुर्गा, पहाड़ों वाली और मां शेरावाली माता भी कहा जाता है।
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मान्यता है कि माता वैष्णो देवी ने त्रेता युग में माता पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में मानव जाति के कल्याण के लिए एक सुंदर राजकुमारी का अवतार लिया था।
मंदिर के बारे में जानकारी:-
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मंदिर में भवन नामक एक स्थान है। भवन वह स्थान है जहां माता ने भैरवनाथ का वध किया था।
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प्राचीन गुफा के समक्ष भैरो का शरीर मौजूद है और उसका सिर उड़कर तीन किलोमीटर दूर भैरो घाटी में चला गया और शरीर यहां रह गया।
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जिस स्थान पर सिर गिरा, आज उस स्थान को 'भैरोनाथ के मंदिर' के नाम से जाना जाता है।
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इस पवित्र गुफा में एक और चमत्कार देखने को मिलता है इस गुफा से पवित्र गंगाजल निकलता रहता है।
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इस गुफा को 'गर्भ गुफा' के नाम से भी जानी जाती है।
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क्योंकि मान्यता है कि मां वैष्णो ने 9 महीने इस गुफा में ऐसे रही।
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इस गुफा में केवल एक बार ही जा सकता है। दोबारा उस गुफा में नहीं जा सकता हैं।
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जो व्यक्ति इस गर्भ गुफा के अंदर ठहर जाता है वह पूरी जिंदगी सुखी जीवन व्यतीत करता है।
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सर्दियों के दौरान यहां बर्फबारी होती है।
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ग्रीष्मकाल के दौरान, तापमान पर्यटकों के लिए उपयुक्त होता है।
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नवरात्रि में यहां जा सकते हैं।
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कटरा से ही वैष्णो देवी की पैदल चढ़ाई शुरू होती है जो भवन तक करीब 13 किलोमीटर और भैरो मंदिर तक 14.5 किलोमीटर है।
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लगभग 5,200 फीट की ऊंचाई पर त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ स्थल है।