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Sharadiya Navratri 2025: नवरात्रि 9 दिनों तक क्यों मनाई जाती है?

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WD Feature Desk

, सोमवार, 15 सितम्बर 2025 (14:45 IST)
Reason behind celebrating Navratri for 9 days: नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक क्यों मनाया जाता है? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में आता है जो इस पावन पर्व से जुड़ा है। नवरात्रि, यानी 'नौ रातें', भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का एक ऐसा अनूठा संगम है जो देवी दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा को समर्पित है।ALSO READ: शारदीय नवरात्रि 2025, माता दुर्गा के 9 रूप, महत्व, रहस्य

इस बार 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो रहा है और नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक और आध्यात्मिक कारण हैं। आइए, जानें कि क्यों नवरात्रि 9 दिनों तक मनाई जाती है और इसके पीछे की धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं क्या हैं।
 
आध्यात्मिक महत्व: आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, नवरात्रि को आंतरिक शुद्धि और आत्म-चिंतन का समय माना जाता है। नौ दिन की यह अवधि मनुष्य को अपने भीतर की नकारात्मक शक्तियों पर विजय प्राप्त करने और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने का अवसर देती है। इसे एक तरह से 'नया जन्म' लेने का प्रतीक भी माना जाता है, जिस तरह से एक शिशु को जन्म लेने में नौ महीने लगते हैं।
 
पौराणिक कथा: सबसे प्रमुख कारण देवी दुर्गा और महिषासुर नामक असुर के बीच हुआ युद्ध है। यह माना जाता है कि महिषासुर ने अपनी राक्षसी शक्तियों के बल पर देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था। तब देवताओं ने अपनी शक्ति को मिलाकर महाशक्ति देवी दुर्गा को उत्पन्न किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ पूरे नौ दिनों तक भयंकर युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। इस प्रकार, नवरात्रि के नौ दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाए जाते हैं, और दसवें दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।
 
इस प्रकार, नवरात्रि का 9 दिनों तक मनाया जाना न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की विजय, नारी शक्ति का सम्मान और आत्म-सुधार के गहरे आध्यात्मिक संदेश को भी दर्शाता है।ALSO READ: Shardiya navratri 2025: मालवा के 8 खास दुर्गा मंदिर, जहां जाकर होगी मन्नत पूरी
 
नौ देवियों की पूजा: नवरात्रि के हर दिन देवी दुर्गा के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। इन नौ स्वरूपों को 'नवदुर्गा' के नाम से जाना जाता है:
 
शैलपुत्री: हिमालय की पुत्री, देवी पार्वती का पहला स्वरूप।
 
ब्रह्मचारिणी: तपस्या और वैराग्य का प्रतीक।
 
चंद्रघंटा: शांति और वीरता का प्रतीक।
 
कूष्मांडा: ब्रह्मांड की निर्माता।
 
स्कंदमाता: भगवान कार्तिकेय की माता।
 
कात्यायनी: बुराई का नाश करने वाली।
 
कालरात्रि: भय और अंधकार को दूर करने वाली।
 
महागौरी: पवित्रता और शांति का प्रतीक।
 
सिद्धिदात्री: सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली।
 
इन नौ रूपों की पूजा करके भक्त शक्ति, ज्ञान और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।ALSO READ: Navratri 2025: नवरात्रि के 9 दिन पहनें अलग रंग, मिलेगा मां दुर्गा के 9 रूपों का आशीर्वाद

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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