Reason behind celebrating Navratri for 9 days: नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक क्यों मनाया जाता है? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में आता है जो इस पावन पर्व से जुड़ा है। नवरात्रि, यानी 'नौ रातें', भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का एक ऐसा अनूठा संगम है जो देवी दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा को समर्पित है।
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इस बार 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो रहा है और नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक और आध्यात्मिक कारण हैं। आइए, जानें कि क्यों नवरात्रि 9 दिनों तक मनाई जाती है और इसके पीछे की धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यताएं क्या हैं।
आध्यात्मिक महत्व: आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, नवरात्रि को आंतरिक शुद्धि और आत्म-चिंतन का समय माना जाता है। नौ दिन की यह अवधि मनुष्य को अपने भीतर की नकारात्मक शक्तियों पर विजय प्राप्त करने और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने का अवसर देती है। इसे एक तरह से 'नया जन्म' लेने का प्रतीक भी माना जाता है, जिस तरह से एक शिशु को जन्म लेने में नौ महीने लगते हैं।
पौराणिक कथा: सबसे प्रमुख कारण देवी दुर्गा और महिषासुर नामक असुर के बीच हुआ युद्ध है। यह माना जाता है कि महिषासुर ने अपनी राक्षसी शक्तियों के बल पर देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था। तब देवताओं ने अपनी शक्ति को मिलाकर महाशक्ति देवी दुर्गा को उत्पन्न किया। देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ पूरे नौ दिनों तक भयंकर युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। इस प्रकार, नवरात्रि के नौ दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाए जाते हैं, और दसवें दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।
नौ देवियों की पूजा: नवरात्रि के हर दिन देवी दुर्गा के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। इन नौ स्वरूपों को 'नवदुर्गा' के नाम से जाना जाता है:
शैलपुत्री: हिमालय की पुत्री, देवी पार्वती का पहला स्वरूप।
ब्रह्मचारिणी: तपस्या और वैराग्य का प्रतीक।
चंद्रघंटा: शांति और वीरता का प्रतीक।
कूष्मांडा: ब्रह्मांड की निर्माता।
स्कंदमाता: भगवान कार्तिकेय की माता।
कात्यायनी: बुराई का नाश करने वाली।
कालरात्रि: भय और अंधकार को दूर करने वाली।
महागौरी: पवित्रता और शांति का प्रतीक।
सिद्धिदात्री: सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली।
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