शारदीय नवरात्रि का पर्व 26 सितंबर 2022 से प्रारंभ हो गया है जो 4 अक्टूबर तक चलेगा। सवाल यह उठता है कि नवरात्रि का पर्व सिर्फ 9 दिन के लिए ही क्यों मनाया जाता है? आखिर क्या कारण है नवरात्रि के पर्व को नौ दिन ही मनाए जाने के? आओ जानेत हैं 9 दिनों तक मनाए जाने के रहस्य को।
1. इन 9 दिनों में प्रकृति में बदलाव होते हैं। नवरात्रि का समय ऋतु परिवर्तन का समय है। सर्दी और गर्मी की इन दोनों महत्वपूर्ण ऋतुओं के मिलन या संधिकाल को नवरात्रि का नाम दिया।
2. ऐसे समय हमारी आंतरिक चेतना और शरीर में भी परिवर्तन होता है। ऋतु-प्रकृति का हमारे जीवन, चिंतन एवं धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यदि आप उक्त नौ दिनों अन्य का त्याग कर भक्ति करते हैं तो आपका शरीर और मन पूरे वर्ष स्वस्थ और निश्चिंत रहता है।
3. मां पार्वती के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ रूपों से ही माता का संपूर्ण जीवन जुड़ा हुआ है। 4. माता के 9 रूप है- 1.शैलपुत्री 2.ब्रह्मचारिणी 3.चंद्रघंटा 4.कुष्मांडा 5.स्कंदमाता 6.कात्यायनी 7.कालरात्रि 8.महागौरी 9.सिद्धिदात्री।
4. माता वैष्णोदेवी ने 9 दिनों तक एक गुफा में साथना की थी और दसवें दिन भैरव बाहर निकलकर भैरवनाथ का सिर काट दिया था।
5. मां दुर्गा ने कात्यायनी रूप लेकर महिषासुर से 9 दिन युद्ध किया था। माता दुर्गा ने 9 दिन तक महिषासुर से युद्ध करके उसका वध कर दिया था और दसवें दिन इसी की याद में विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।
6. अंकों में नौ अंक पूर्ण होता है। नौ के बाद कोई अंक नहीं होता है।
7 ग्रहों में नौ ग्रहों को महत्वपूर्ण माना जाता है।
8. पार्वती, शंकर से प्रश्न करती हैं कि "नवरात्र किसे कहते हैं!" शंकर उन्हें प्रेमपूर्वक समझाते हैं- नव शक्तिभि: संयुक्त नवरात्रं तदुच्यते, एकैक देव-देवेशि! नवधा परितिष्ठता। अर्थात् नवरात्र नवशक्तियों से संयुक्त है। इसकी प्रत्येक तिथि को एक-एक शक्ति के पूजन का विधान है।
9. किसी भी मनुष्य के शरीर में सात चक्र होते हैं जो जागृत होने पर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन तो चक्रों को जागृत करने की साधना की जाती है। 8वें दिन शक्ति को पूजा जाता है। नौंवा दिन शक्ति की सिद्धि का होता है। शक्ति की सिद्धि यानि हमारे भीतर शक्ति जागृत होती है।