नवरात्रि की अष्टमी को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी कहते हैं जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस दिन माता के 8वें रूप महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है। महाष्टमी पर जहां शुभ मुहूर्त में माता की पूजा और हवन होता है वहीं इस दिन संधि पूजा का भी बहुत महत्व होता है। यह पूजा करना बहुत ही शुभ है।
1. संधि पूजा : महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है। यह पूजा अष्टमी और नवमी दोनों दिन चलती है। संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं।
2. हवन : संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है। क्योंकि यह वह समय होता है जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि का आरंभ होता है। मान्यता है कि इस समय में देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड का वध किया था।
3. बलि : संधि पूजा के समय केला, ककड़ी, कद्दू और अन्य फल सब्जी की बलि दी जाती है।
4. वंदना : संधि काल में 108 दीपक जलाकर माता की वंदना और आराधना की जाती है।
5. आशीर्वाद : भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।