Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(रुक्मिणी अष्टमी)
  • तिथि- पौष कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • व्रत/मुहूर्त-रुक्मिणी अष्टमी, किसान दिवस
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

नवरात्रि 2022 : माता स्कंदमाता कौन हैं, कैसा है उनका स्वरूप और क्या चढ़ाएं प्रसाद

हमें फॉलो करें नवरात्रि 2022 : माता स्कंदमाता कौन हैं, कैसा है उनका स्वरूप और क्या चढ़ाएं प्रसाद
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
 
शारदीय नवरात्रि में पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। स्कंदमाता पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वाली देवी मानी जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है।
 
माता का स्वरूप : स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इस देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है।

बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।
 
शास्त्रों में  देवी स्कंदमाता का काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।
 
कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं। उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है यानी चेतना का निर्माण करने वालीं। 
 
प्रसाद भोग- नवरात्रि की पंचमी तिथि के दिन पूजा करके स्कंद माता को केले का भोग लगा कर यह प्रसाद ब्राह्मण को देना चाहिए, इससे मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जानिए दशहरा के उपाय क्या शुभ फल देते हैं, हर क्षेत्र में चाहिए विजय तो तुरंत नोट कर लें