Durga Ashtami 2023 : शारदीय नवरात्रि में अष्टमी का खास महत्व होता है। इस दिन की अष्टमी को महाष्टमी कहते हैं और इस दिन खास तरह की पूजा आराधना होती है। यदि आपको यहां पर भी अष्टमी का पारण यानी उपवास को खोलते हैं तो उससे पहले जान लें कि इस दिन 5 प्रकार की पूजा होती है। यदि आप ये पूजा करते हैं तो माता रानी बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगी।
1. माता की षोडशोपचार: माता की इस दिन षोडशोपचार पूजा होती है। यानी की माता महागौरी को 16 श्रृंगार अर्पित करके उनकी 16 प्रकार की सामग्री के साथ पूजा होती है।
2. हवन पूजा : यदि आप घर में हवन कर रहे हैं तो इससे पहले हवन या यज्ञ वेदी की पूजा होती है। इसके बाद ही हवन किया जाता है।
3. कन्या पूजा : इस दिन पारण कर रहे हैं तो कन्या भोज किया जाता है। यथाशक्ति 9 कन्याओं को भोजन कराने के पहले उनकी पूजा करते हैं। इसे कुमारिका पूजा भी कहते हैं।
4. संधि पूजा : इस दिन संधि पूजा का बहुत महत्व रहता है। यानी जब अष्टमी और नवमी तिथि का मिलन हो रहा हो तब यह पूजा करते हैं। संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं।
5. महानिशा पूजा या निशीथ पूजा : यह पूजा तब होती है जब अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही हो। या जैसे अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर को है तो 21 अक्तूबर के निशीथकाल में यह पूजा होगी। नवरात्रि की सप्तमी तिथि के रात की जाने वाली पूजा को निशा पूजा कहा जाता है। आप चाहे तो 22 अक्टूबर की रात को निशीथ पूजा कर सकते हैं।