Durga ashtami ka bhog: 22 अक्टूबर 2023 रविवार के दिन दुर्गा अष्टमी की पूजा होगी। इस दिन माता को कई तरह के भोग लगाए जाते हैं और कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं कि उन्हें खाना वर्जित माना गया है। महाष्टमी के दिन महास्नान के बाद मां दुर्गा का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। यदि माता महागौरी को प्रसन्न करना हैं तो महा अष्टमी पर उन्हें विशेष प्रकार के भोग लगाकर ही पूजन करें।
दुर्गा अष्टमी का महत्व : अष्टमी के दिन आठवें रूप महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है। मां गौरी का वाहन बैल और उनका शस्त्र त्रिशूल है। परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से विख्यात हुईं। भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली है।यह भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं। मां भगवती का पूजन अष्टमी को करने से कष्ट, दुःख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। मां की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले सभी रोगों से मुक्त हो जाते हैं और धन-वैभव संपन्न होते हैं।
अष्टमी का पारण और भोग:-
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भोग- 1.खीर, 2.मालपुए, 3.मीठा हलुआ, 4.पूरणपोळी, 5.केले, 6.नारियल, 7.मिष्ठान्न, 8.घेवर, 9.घी-शहद और 10.तिल और गुड़। नारियल और नारियल से बनी चीजों का भोग जरूर लगाएं।
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पारण : यदि अष्टमी को पराण कर रहे हैं तो विविध प्रकार से महागौरी का पूजन कर भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए।
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हवन और कन्या भोज : विविध प्रकार से पूजा-हवन कर 9 कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए। हलुआ आदि प्रसाद वितरित करना चाहिए।
अष्टमी का ये नहीं खाना चाहिए:-
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नारियल: अष्टमी के दिन नारियल खाना निषेध है, क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है।
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कद्दू : कई जगह कद्दू का भी निषेध माना गया है क्योंकि यह माता के लिए बलि के रूप में चढ़ता है।
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लौकी : कई जगह लौकी का भी निषेध माना गया है क्योंकि इसे भी बलि रूप ही माना जाता है।
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अन्य दो : इसके आलावा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है।