Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(पंचमी तिथि)
  • तिथि- माघ कृष्ण पंचमी
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-ओशो महोत्सव, गहोई दिवस
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia

शारदीय नवरात्रि में कन्या भोज और पूजन की विधि

Advertiesment
हमें फॉलो करें kanya pujan
Kanya Bhoj and Puja: 03 अक्टूबर 2024 से शारदीय नवरात्र‍ि का पर्व प्रारंभ हो गया है। 11 अक्टूबर को अष्टमी और 12 अक्टूबर को नवमी रहेगी। जहां पर अष्टमी के दिन पारण होता है वहां पर और जहां पर नवमी के दिन उपवास खोला जाता है वहां पर कन्या भोज और पूजन होता है। कन्या पूजन को कुमारिका पूजा भी कहते हैं। यदि आप भी कन्या भोज कराते हैं तो जान लें संपूर्ण विधि।
 
कैसे करें कन्या पूजा : 
1. कन्या भोज के पहले कन्या पूजन किया जाता है। इस दिन कम से कम 9 कन्याओं को आमंत्रित करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्या कुमारी पूजा के लिए उपयुक्त होती हैं।
 
2. सभी कन्याओं को कुश के आसान पर या लकड़ी के पाट पर बैठाकर उनके पैरों को पानी या दूध से धोएं। फिर पैर धोने के बाद उनके पैरों में महावार लगाकर उनका श्रृंगार करें और फिर उनके माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम का तिलक लगाकर उनकी पूजा और आरती करें।
 
3. इसके बाद सभी कन्याओं को भोजन कराएं। साथ ही एक लांगुरिया (छोटा लड़का) को खीर, पूरी, प्रसाद, हलवा, चने की सब्जी आदि खिलाएं।
 
6. भोजन कराने के बाद उन्हें दक्षिणा दें, उन्हें रूमाल, चुनरी, फल और खिलौने देकर उनका चरण स्पर्श करके उन्हें खुशी खुशी से विदा करें। कन्याओं को तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर, गिफ्ट दक्षिणा आदि देकर आशीर्वाद लिया जाता है, फिर उन्हें विदा किया जाता है।
 
7. कुमारी पूजा में ये बालिकाएं देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं- कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शनभावी, दुर्गा और भद्रा। कन्याओं की आयु 10 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
 
8. साल की कन्या कुमारी को पूजने से धन, 3 साल की त्रिमूर्ति को पूजने से धान्य, 4 साल की कल्याणी को पूजने से सुख, 5 साल की रोहिणी को पूजने से सफलता, 6 साल की कालिका को पूजने से यश, 7 साल की चंडिका को पूजने से समृद्धि, 8 साल की शांभवी को पूजने से पराक्रम, 9 साल की दुर्गा को पूजने से वैभव और 10 साल की कन्या सुभद्रा को पूजने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 
 
9. क्या पूजा और भोज कथा : एक कथा के अनुसार माता के भक्त नि:संतान पंडित श्रीधर ने एक दिन कुमारी कन्याओं को भोजन पर आमंत्रित किया। वहां पर मातारानी कन्या के रूप में आकर उनक कन्याओं के बीच बैठ गई। सभी कन्या तो भोजन करने चली गई परंतु मारारानी वहीं बैठी रहीं। उन्होंने पंडित श्रीधर से कहा कि तुम एक भंडारा रखो, भंडारे में पूरे गांव को आमंत्रित करो। इस भंडारे में भैरवनाथ भी आया और वहीं उसके अंत का प्रारंभ भी हुआ।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi