Durga Navmi 2025: शारदीय नवरात्रि की नवमी कब है, जानें सही तिथि, पूजा मुहूर्त और विधि
, सोमवार, 29 सितम्बर 2025 (16:45 IST)
Durga Navmi Auspicious Time n Muhurat: दुर्गा नवमी शारदीय नवरात्रि के नौ दिवसीय महापर्व का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। वर्ष 2025 में महानवमी 1 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। यह दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री को समर्पित है, जिनकी पूजा से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस दिन नवमी हवन और कन्या पूजन का विशेष विधान है, जिसके साथ ही नौ दिनों के व्रत का पारण किया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय और दैवीय शक्ति के पूर्ण होने का प्रतीक है। इस बार दुर्गा नवमी या महानवमी 01 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
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यहां जानें शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि (दुर्गा नवमी) 2025 की सही तिथि, पूजा मुहूर्त और विधि इस प्रकार है:
आश्विन नवरात्रि महा नवमी बुधवार, अक्टूबर 1, 2025 को: दुर्गा नवमी तिथि और समय:
नवमी तिथि का आरंभ: 30 सितंबर 2025, मंगलवार को शाम 6 बजकर 06 मिनट से।
नवमी तिथि का समापन: 1 अक्टूबर 2025, बुधवार को शाम 7 बजकर 01 मिनट पर।
आश्विन नवरात्रि व्रत का पारण या व्रत खोलना- बृहस्पतिवार, अक्टूबर 2, 2025 को संपन्न होगा।
पूजा मुहूर्त: नवमी के दिन पूजा का विशेष मुहूर्त इस प्रकार है:
बुधवार, अक्टूबर 1, 2025 को आश्विन नवमी होम :
नवरात्रि प्रातः हवन मुहूर्त- 06:14 ए एम से 06:07 पी एम
कुल अवधि - 11 घण्टे 53 मिनट्स।
ब्रह्म मुहूर्त- 04:37 ए एम से 05:26 ए एम तक।
प्रातः सन्ध्या- 05:01 ए एम से 06:14 ए एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:09 पी एम से 02:57 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:07 पी एम से 06:31 पी एम तक।
सायाह्न सन्ध्या- 06:07 पी एम से 07:20 पी एम तक।
अमृत काल- 02 अक्टूबर 02:31 ए एम से 04:12 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:46 पी एम से 02 अक्टूबर 12:35 ए एम।
रवि योग- 08:06 ए एम से 02 अक्टूबर 06:15 ए एम
पूजा विधि और महत्व: मां सिद्धिदात्री की पूजा: नवमी तिथि को मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। नवरात्रि की पूर्णाहुति के लिए नवमी के दिन हवन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें नवग्रह, देवी-देवताओं और मां दुर्गा के लिए विशेष आहुतियां दी जाती हैं। यह समय हवन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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कन्या पूजन:
- नवमी के दिन 2 से 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं और एक बालक (जिन्हें भैरव/लांगुरा के रूप में पूजा जाता है) को घर पर आमंत्रित किया जाता है।
- उनके पैर धोकर उन्हें साफ आसन पर बिठाया जाता है।
- उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत लगाकर पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
- उन्हें पूरी, हलवा और चना का भोग लगाया जाता है।
- उन्हें सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा या उपहार देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है।
- इसके बाद भक्त व्रत का पारण (व्रत खोलना) करते हैं।
- व्रत का पारण: कन्या पूजन के बाद भक्तों द्वारा व्रत का पारण करके उपवास समाप्त किया जाता है।
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