Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Saturday, 12 April 2025

आज के शुभ मुहूर्त

(मेष संक्रांति)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण प्रतिपदा
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त-/मेष संक्रांति/खरमास समाप्त
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia

कल या परसों, कब है महाअष्टमी?

Advertiesment
हमें फॉलो करें Chaitra Navratri Ashtami 2025

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025 (15:46 IST)
Chaitra Navratri 2025 : इस बार 30 मार्च से शुरू हुई चैत्र नवरात्रि का समापन 06 अप्रैल, दिन रविवार को होने जा रहा है और इसीलिए रविवार को दुर्गा नवमी तथा राम जन्मो‍त्सव के रूप में श्रीराम नवमी का पर्व मनाया जाएगा।ALSO READ: Durga ashtami havan: महाष्टमी पर हवन करने से होंगे 5 फायदे
 
हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार इस बार की नवरात्रि पर्व 8 दिनों का मनाया जा रहा है और इन दिनों एक तिथि क्षय होने के कारण नवरात्रि पर्व 8 दिन का ही होना शास्त्रसम्मत भी है। हालांकि, उदया तिथि के अनुसार, महाष्टमी 5 अप्रैल 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। अत: इस बार 05 अप्रैल 2025, दिन शनिवार को अष्टमी मनाई जाएगी तथा 06 अप्रैल को दुर्गा नवमी और राम नवमी मनेगी।
 
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महा अष्टमी का व्रत रखकर माता दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा किया जाता है तथा इस दिन कन्या पूजन करने का विधान है, जो कि बहुत ही शुभ माना जाता है।

इसी कारण चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि इस बार 05 अप्रैल यानी कल मनाई जाएगी। बता दें कि अष्टमी तिथि यानी दुर्गा अष्टमी अथवा महाष्टमी इस बार 05 अप्रैल 2025, शनिवार को शाम 07 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। तथा इस दिन रवि योग भी रहेगा।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि 2025 की अष्टमी तिथि कब रहेगी, क्या रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त?

webdunia
 
यहां जानें दुर्गाष्टमी पर महागौरी पूजा के शुभ मुहूर्त :
 
- प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 04:35 से 06:07 तक।
 
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:49 तक।
 
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:20 तक।
 
- संध्या पूजा मुहूर्त: शाम 06:40 पी एम से 07:50 तक।

महा अष्टमी के बारे में जानें : चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर माता महागौरी, मां दुर्गा के नौ रूपों तथा कुल देवी की पूजा की जाती है। और अष्टमी पर माता को नारियल का भोग लगाया जाता है, किंतु इसका सेवन नहीं करते है। इस दिन कन्या तथा ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। कन्याओं को दक्षिणा और उपहार भेंटस्वरूप देकर और उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: चैत्र नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि का क्या है महत्व?

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राम जी के भक्त हैं तो इन तीन मंदिरों में दर्शन कर पाएं अपने आराध्य का आशीर्वाद