Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(तृतीया तिथि)
  • तिथि- कार्तिक कृष्ण तृतीया
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त- भद्रा, विश्व दृष्टि दिवस
  • राहुकाल- दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
webdunia

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर तृतीया देवी चंद्रघंटा की कथा, मंत्र और पूजा विधि

Advertiesment
हमें फॉलो करें third day of navratri 2025 devi

WD Feature Desk

, मंगलवार, 23 सितम्बर 2025 (11:10 IST)
Maa Chandraghanta Katha: शारदीय नवरात्रि या नवदुर्गा पूजन के तीसरे दिन तृतीया की देवी मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी पौराणिक कथा या कहानी पढ़ी या सुनी जाती है। आइये यहां जानते हैं देवी चंद्रघंटा की पूजा विधि, आरती, भोग, मंत्र और माता के स्वरूप सहित सभी कुछ।ALSO READ: Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के दौरान करें ज्योतिष के 10 खास उपाय
 
माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। माता के तीन नैत्र और दस हाथ हैं। इनके कर-कमल गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं, अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं चंद्रघंटा। ये शेर पर आरूढ़ है तथा युद्ध में लड़ने के लिए उन्मुख है।
 
कथा: 
पौराणिक कथा के अनुसार जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था। उस काल में महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से हो रहा था। महिषासुर देवराज देवलोक को अपने कब्जे में लेना चाहता था। जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे विचलिता हो गए। सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समक्ष पहुंचे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुन क्रोध प्रकट किया। 
 
क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली। उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं। उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा दिया। सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की।ALSO READ: Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर नौदुर्गा के 9 दिनों के 9 मंत्र, 9 नैवेद्य और 9 स्तुति
 
मां चंद्रघंटा पूजा विधि- 
 
- नवरात्रि में तीसरे दिन देवी मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व है।
 
- देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। 
 
- मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है।
 
- तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए। 
 
- पूजन के उपरांत वह दूध ब्राह्मण को देना उचित माना जाता है। 
 
- इस दिन सिंदूर लगाने का भी रिवाज है। 
 
मंत्र: ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
 
प्रार्थना:
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
 
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
 
मां चंद्रघंटा का भोग- आज के दिन मां सफेद चीज का भोग जैसे दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Navratri 2025: बेटी को दीजिए मां दुर्गा के ये सुंदर नाम, जीवन भर रहेगा माता का आशीर्वाद

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Solar Ashwin Month 2025: सौर आश्विन मास, जानें महत्व और पौराणिक बातें