इस माह की दिनांक 13 अप्रैल, दिन मंगलवार से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होने जा रही है। हमारे सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। हिन्दू वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ, मासों में 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसमें 2 नवरात्र को प्रगट एवं शेष 2 नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र में देवी प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती है, वहीं आषाढ़ और माघ मास में की जाने वाली देवीपूजा 'गुप्त नवरात्र' के अंतर्गत आती है जिसमें केवल मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति प्रज्वलित कर या जवारे की स्थापना कर देवी की आराधना की जाती है।
आइए, जानते हैं कि इस चैत्र नवरात्रि में किस प्रकार देवी आराधना करना श्रेयस्कर रहेगा?
मुख्य रूप से देवी आराधना को हम 3 भागों में विभाजित कर सकते हैं-
1. घटस्थापना, अखंड ज्योति प्रज्वलित करना व जवारे स्थापित करना- श्रद्धालुगण अपने सामर्थ्य के अनुसार उपर्युक्त तीनों ही कार्यों से नवरात्र का प्रारंभ कर सकते हैं अथवा क्रमश: 1 या 2 कार्यों से भी प्रारंभ किया जा सकता है। यदि यह भी संभव नहीं तो केवल घटस्थापना से देवी पूजा का प्रारंभ किया जा सकता है।
2. सप्तशती पाठ व जप- देवीपूजन में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत महत्व है। यथासंभव नवरात्र के 9 दिनों में प्रत्येक श्रद्धालु को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। किंतु किसी कारणवश यह संभव नहीं हो तो देवी के नवार्ण मंत्र का जप यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए।
!!नवार्ण मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै'!!
3. पूर्णाहुति हवन व कन्याभोज- 9 दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज कराकर किया जाना चाहिए। पूर्णाहुति हवन दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से किए जाने का विधान है किंतु यदि यह संभव न हो तो देवी के 'नवार्ण मंत्र', 'सिद्ध कुंजिका स्तोत्र' अथवा 'दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र' से हवन संपन्न करना श्रेयस्कर रहता है।
चैत्र नवरात्र घटस्थापना मुहूर्त-
नवरात्र के ये 9 दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना के दिन होते हैं। अनेक श्रद्धालु इन 9 दिनों में अपने घरों में घटस्थापन कर अखंड ज्योति की स्थापना कर 9 दिनों का उपवास रखते हैं।
आइए, जानते हैं कि नवरात्र में घटस्थापन एवं अखंड ज्योति प्रज्वलन का शुभ मुहूर्त कब है?
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12.00 मिनिट से 12.45 तक
प्रात:- 10.45 से दोप. 1.50 तक
दोपहर- 3.30 से सायंकाल 5.00 बजे तक
सायं 8.00 से 9.30 बजे तक
अखंड ज्योति-
जो श्रद्धालुगण अखंड ज्योति प्रज्वलित करना चाहते हैं, वे बाती के रूप कलावा (मौली) का प्रयोग करें। इससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है एवं साधक पर सदैव लक्ष्मी की अनुकंपा बनी रहती है।
विभिन्न लग्नों में घटस्थापन कर अखंड ज्योति प्रज्वलित किए जाने का फल भी निम्न प्रकार से प्राप्त होता है-
1. मेष लग्न- धनलाभ
2. वृषभ लग्न- कष्ट
3. मिथुन लग्न- संतान नाश
4. कर्क लग्न- समस्त सिद्धियां
5. सिंह लग्न- बुद्धि नाश
6. कन्या लग्न- लक्ष्मी प्राप्ति
7. तुला लग्न- ऐश्वर्य
8. वृश्चिक लग्न- स्वर्ण लाभ
9. धनु लग्न- अपमान
10. मकर लग्न- पुण्य प्राप्ति
11. कुंभ लग्न- धन-समृद्धि की प्राप्ति
12. मीन लग्न- दु:ख की प्राप्ति होती है।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र