Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(दशमी तिथि)
  • तिथि- चैत्र शुक्ल दशमी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
  • उपाय- पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं
webdunia
Advertiesment

Navratri Chandi Havan : घर में कैसे करें अष्टमी और नवमी पर चंडी हवन, जानिए मंत्र और सावधानी

हमें फॉलो करें Navratri Chandi Havan : घर में कैसे करें अष्टमी और नवमी पर चंडी हवन, जानिए मंत्र और सावधानी
, मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021 (14:19 IST)
नवरात्रि में चंडी यज्ञ या हवन और चंडी पाठ का बहुत महत्व होता है। घर में चंडी पाठ और हवन करने के लिए सावधानी और नियम का पालन करना जरूरी होता है। हम आपको यहां पर सरल विधि और मंत्र बता रहे हैं फिर भी एक बार किसी पंडित से पूछकर यह कार्य करेंगे तो बेहतर होगा।
 
सावधानी : यह सभी जानते हैं कि हनुमानजी ने 'ह' की जगह 'क' करवा दिया था जिससे रावण की यज्ञ की दिशा ही बदल गई थी। उसी तरह हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि दुर्गा सप्तशती या चण्डी पाठ और हवन में उच्चारण की शुद्धता कितनी जरूरी है। अत: पहले किसी पंडित से हवन और पाठ के नियम जरूर जान लें।
कैसे करें चंडी हवन सरल विधि :
पंचभूत संस्कार : हवन से पहले कुंड का पंचभूत संस्कार करें किया जाता है। पहले कुश के अग्रभाग से वेदी को साफ करें। दूसरा कुंड का गोबर से लेपन करें। तीसरा वेदी के मध्य बाएं से दक्षिण से उत्तर की ओर पृथक-पृथक 3 रेखाएं खड़ी खींचें, चौथे संस्कार में तीनों रेखाओं से यथाक्रम अनामिका व अंगूठे से कुछ मिट्टी हवन कुंड से बाहर फेंकें। पांचवें संस्कार में दाहिने हाथ से शुद्ध जल वेदी में छिड़कें। पंचभूत संस्कार से आगे की क्रिया में अग्नि प्रज्वलित करके अग्निदेव का पूजन करें।
 
इन मंत्रों से शुद्ध घी की आहुति दें : -
ॐ प्रजापतये स्वाहा। इदं प्रजापतये न मम।
ॐ इन्द्राय स्वाहा। इदं इन्द्राय न मम।
ॐ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये न मम।
ॐ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय न मम।
ॐ भूः स्वाहा। इदं अग्नेय न मम।
ॐ भुवः स्वाहा। इदं वायवे न मम।
ॐ स्वः स्वाहा। इदं सूर्याय न मम।
ॐ ब्रह्मणे स्वाहा। इदं ब्रह्मणे न मम।
ॐ विष्णवे स्वाहा। इदं विष्णवे न मम।
ॐ श्रियै स्वाहा। इदं श्रियै न मम।
ॐ षोडश मातृभ्यो स्वाहा। इदं मातृभ्यः न मम॥
ALSO READ: Navaratri 2021 : अष्टमी पर घर में कर रहे हैं हवन तो जानिए जरूरी हवन सामग्री
अब सर्पप्रथज्ञ गणेशजी की आहुति दें। फिर नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति दें। इसके बाद सभी देवताओं को आहुति दें। 
 
ॐ आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा)।
ॐ गणेशाय नम: स्वाहा।
ॐ गौरियाय नम: स्वाहा।
ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा।
ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा।
ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा।
ॐ हनुमते नम: स्वाहा।
ॐ भैरवाय नम: स्वाहा।
ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा।
ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा
ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा।
ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा।
ॐ शिवाय नम: स्वाहा।
ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा।
स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
 
अब सप्तशती या नर्वाण मंत्र से जप करें। सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें। प्रथम से अंत अध्याय के अंत में पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, लौंग 2 नग, छोटी इलायची 2 नग, गूगल व शहद की आहुति दें तथा पांच बार घी की आहुति दें। यह सब अध्याय के अंत की सामान्य विधि है।
तीसरे अध्याय में गर्ज-गर्ज क्षणं में शहद से आहुति दें। आठवें अध्याय में मुखेन काली इस श्लोक पर रक्त चंदन की आहुति दें। पूरे ग्यारहवें अध्याय की आहुति खीर से दें। इस अध्याय से सर्वाबाधा प्रशमनम्‌ में कालीमिर्च से आहुति दें। नर्वाण मंत्र से 108 आहुति दें।
 
ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि: भूमि सुतो बुधश्च:
गुरुश्च शुक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: भवंतु।
 
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
 
हवन के बाद गोला में कलावा बांधकर फिर चाकू से काटकर ऊपर के भाग में सिन्दूर लगाकर घी भरकर चढ़ा दें जिसको वोलि कहते हैं। फिर पूर्ण आहूति नारियल में छेद कर घी भरकर, लाल तूल लपेटकर धागा बांधकर पान, सुपारी, लौंग, जायफल, बताशा, अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति मंत्र बोले- 'ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।'
 
पूर्ण आहुति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें, फिर परिवार सहित आरती करके हवन संपन्न करें और माता से क्षमा मांगते हुए मंगलकामना करें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पापांकुशा एकादशी की यह पौराणिक व्रत कथा देती हैं समस्त पापों से मुक्ति, जानिए महत्व