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(पापांकुशा एकादशी)
  • तिथि- आश्विन शुक्ल एकादशी
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  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
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नवरात्रि 2021: पहले दिन की देवी मां शैलपुत्री, जानिए उनका स्वरूप एवं नैवेद्य

हमें फॉलो करें नवरात्रि 2021: पहले दिन की देवी मां शैलपुत्री, जानिए उनका स्वरूप एवं नैवेद्य
1st day devi prasad
 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं। देवी दुर्गा के पहले स्वरूप को माता शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। ये ही नवदुर्गाओ में प्रथम दुर्गा है। शैलराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्रि पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा व उपासना की जाती है।
 
वृषभ स्थिता माता शैलपुत्री खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, भुशुंडि, कपाल तथा शंख को धारण करने वाली संपूर्ण आभूषणों से विभूषित नीलमणि के समान कांति युक्त, दस मुख व दस चरण वाली है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है।
 
महाकाली की आराधना करने से साधक को कुसंस्कारों, दुर्वासनाओं तथा असुरी वृत्तियों के साथ संग्राम कर उन्हें खत्म करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। ये देवी शक्ति, आधार एवं स्थिरता की प्रतीक है। इसके अतिरिक्त उपरोक्त मंत्र का नित्य एक माला जाप करने पर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। इस देवी की उपासना जीवन में स्थिरता देती है।
 
मां को चढ़ाएं आज ये प्रसाद- 
 
मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु सभी तरीकों से माता की पूजा के बाद नियमानुसार प्रतिपदा तिथि को नैवेद्य के रूप में गाय का घी मां को अर्पित करना चाहिए और फिर वह घी ब्राह्मण को दे देना चाहिए।


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