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श्री दुर्गा सप्तशती के 6 विलक्षण मंत्र, करेंगे हर संकट का अंत

हमें फॉलो करें श्री दुर्गा सप्तशती के 6 विलक्षण मंत्र, करेंगे हर संकट का अंत
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पं. उमेश दीक्षित

हिन्दू धर्म का शक्ति पूजा का महान ग्रंथ श्री दुर्गा सप्तशती अपने आप में पूर्ण तांत्रिक ग्रंथ है जिसका प्रत्येक मंत्र मनुष्य की कामना पूर्ति करने वाला तथा जीवन की हर समस्या का निदान करने वाला है, कुछ मुख्‍य मंत्र प्रस्तुत है...
(1) प्रबल आकर्षण वशीकरण के लिए निम्न मंत्र का 10 हजार जप कर 1,000 आहुति से हवन करें। संकल्प में नाम बोलें, कार्य होगा।
 
'ज्ञानिनापि चेतांसि देवी भगवती हि सा,
बलादा कृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।'
 
(नोट : पायस, तिल, घृत, इलायची, बिल्व आदि से हवन करें।)
(2) यदि सामने बलवान शत्रु हो तथा जिसका पार न पड़ रहा हो, उसे पराजित करने के लिए मंत्र जप कर दशांस होम, तिल, सरसों से करें।
 
'क्षणेन तन्महासैन्यंसुराणां तथा अम्बिका,
निन्ये क्षयं यथा वह्निस्तृणदारू महाचयम।' 
 
या
 
'गर्ज गर्ज क्षणं मूढ़ मधु यावत पिबाम्यहम्,
मया त्वयि हतेऽत्रैव गर्जिष्यान्तु देवता:।'
 
(हवनादि उपरोक्त तरीके से करें।) 
(3) बड़े शत्रुओं को भयभीत करने के लिए निम्न मंत्र का उपरोक्त तरीके से जप करें।
 
'इत्युक्त: सोऽभ्यघावत् तामसुरो धूम्रलोचन:।
हुंकारेणैव तं भस्म सा यकाराम्बिका तत:।'
(4) दु:ख-दारिद्र्य निवारण के लिए निम्न मंत्र जपें तथा पायस, बिल्वपत्र की आहुति दें। 
 
'दुर्गेस्मृता हरसि भीतिम शेष जन्तौ:, 
स्वस्‍थै:स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि:।
दारिद्र्य दुख:हारिणी का त्वदन्या,
सर्वोपकार कारणाय सदार्द्र चित्रा।।'
(5) पद प्राप्ति या अधिकार प्राप्ति के लिए निम्न मंत्र जपें तथा घृत, तिल, जौ आदि से हवन करें। विशेष यह मंत्र छोटा है। 
 
'हत्वा रिपुनस्खलितं तव तत्र भविष्यति।'
(6) रोगनाश, असाध्य बीमारी के लिए यह मंत्र महामृत्युंजय मंत्र की तरह कार्य करता है। सरसों, कालीमिर्च, जायफल, गिलोय, नीम, आंवला, राई, तिल, जौ आदि से दशांस आहुति दें। बड़े रोगों में सवा लाख जपें- 
 
मंत्र- 
 
'रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, 
ददासि कामान् सकलान भीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां,
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयन्ति।।'
 
उपरोक्त मंत्र श्रद्धा व विश्वास के साथ जपें तथा माता दुर्गा की यथाशक्ति पूजा करें। 10 हजार जप कर दशांस हवन करने से मंत्र सिद्ध हो जाएगा। नित्य 1 माला करने से वह समस्या दोबारा नहीं होगी। पूजा-प्रतिष्ठा किसी योग्य ब्राह्मण से समझ लें। इति।

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