नवरात्र में शक्ति की आराधना की जाती है। शक्ति, जो आसुरी वृत्तियों का नाश करती है। जब इस पृथ्वी पर पाप बढ़ जाता है, तो देवी अवतार लेकर उस पाप का नाश करती है। नवरात्र में देवी की आराधना का विशेष महत्व है। देवी अपने भक्तों को संकट से बचाकर उसकी हर इच्छा की पूर्ति करती है। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। नवरात्र में इसका पाठ करने वाले के साथ ही इसके श्रवण से भी विशेष फल प्राप्त होता है।
किसी भी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए अगर शुद्धता, एकाग्रता के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाए तो वह जरूर पूरी होती है। दुर्गा सप्तशती में मां के अवतारों का वर्णन है, जो उन्होंने पृथ्वी पर आसुरी शक्तियों के नाश के लिए धारण किए थे। जानते हैं कि दुर्गा सप्तशती के पाठ से क्या लाभ मिलते हैं? दुर्गा सप्तशती से अद्भुत शक्तियां होती हैं।
दुर्गा सप्तशती के 12वें अध्याय में देवी ने स्वयं अपने मुख से दुर्गा सप्तशती के महात्म्य-पाठ का वर्णन किया है। इसके नित्य प्रति पाठ से क्या कुछ संभव नहीं है। इसके पाठ से नित्य प्रति एक नया अनुभव, नई दृष्टि, नया रोमांच और नई उपलब्धि प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी प्रकार की ग्रह बाधा, भूत-प्रेत, पिशाच बाधा, नजर दोष, जादू-टोना, ऊपरी हवा का प्रकोप, तंत्र-मंत्र बाधा, शत्रु बाधा, रोग, महामारी, संकट, आत्मरक्षा हेतु दुर्गा सप्तशती में वर्णित देवी कवच का नित्य सुबह-शाम पाठ करना सबसे उत्तम उपाय है।
कीलक- दुर्गा सप्तशती में वर्णित कीलक के नित्य प्रति सुबह-शाम पाठ से शत्रु द्वारा किए गए अभिचार-कर्मों, जादू-टोना, तंत्र बाधा से रक्षा होती है। घर-व्यापार में किए गए सभी प्रकार के बंधनों से मुक्ति मिलती है।
अर्गला स्तोत्र- घर-परिवार में सभी प्रकार की सुख-शांति एवं समृद्धि, यश, विजय, धन, मान-सम्मान, आकर्षण एवं समस्त प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति हेतु नित्य सुबह-शाम अर्गला स्तोत्र का पाठ उत्तम फल प्रदान करता है।
दुर्गा द्वात्रिंशन्नाममाला- दुर्गा सप्तशती में वर्णित इस पाठ को सुबह-शाम पढ़ने से अकारण उत्पन्न भय का निवारण होता है, मन प्रसन्न रहता है तथा शारीरिक एवं मानसिक शक्ति प्राप्ति होती है।