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आज के शुभ मुहूर्त

(कालभैरव अष्टमी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-श्री कालभैरव अष्टमी/ सत्य सांईं जन्म.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन, देवी चंद्रघंटा की पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, भोग एवं आरती, यहां पढ़ें

हमें फॉलो करें Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन, देवी चंद्रघंटा की पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, भोग एवं आरती, यहां पढ़ें
नवरात्रि के दिनों में तृतीय दिन की देवी मां चंद्रघंटा की (Maa Chandraghanta) आराधना बहुत महत्व है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप व बाधाएं खत्म हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी व निर्भय हो जाता है। 
 
मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती है, इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया का भी विकास होता है। मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है। 
 
पूजा विधि-Maa Chandraghanta 
 
नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। 
 
मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है। 
 
इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। 
 
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। 
 
मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है।
 
तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए। 
 
पूजन के उपरांत वह दूध ब्राह्मण को देना उचित माना जाता है। 
 
इस दिन सिंदूर लगाने का भी रिवाज है। 
 
सरल मंत्र : ॐ एं ह्रीं क्लीं
 
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र है- ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’
 
ये मां का महामंत्र है जिसे पूजा पाठ के दौरान जपना होता है। 
 
महामंत्र- ‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:‘ 
 
माता चंद्रघंटा का उपासना मंत्र- 
 
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
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