Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(बैकुंठ चतुर्दशी)
  • तिथि- कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी/चतुर्दशी-(क्षय)
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-बैकुंठ चतुर्दशी/पंचक समाप्त/मूल समाप्त
  • राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

चैत्र नवरात्रि का धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व

हमें फॉलो करें चैत्र नवरात्रि का धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व
नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा की पूजा होती है। भागवत पुराण के अनुसार साल में 4 नवरात्र मनाए जाते हैं ज‌िनमें 2 गुप्त नवरात्र सह‌ित शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्रि शामिल है।
 
भारत में होली-दीपावली जितना ही खास है चैत्र नवरात्रि। जिसकी धूम भारत के ज्यादातर जगहों पर देखने को मिलती है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। मंत्रोचारण से लेकर पूजा-पाठ, भोग लगाने तक हर एक चीज़ का अपना एक अलग महत्व होता है। भागवत पुराण के अनुसार साल में चार नवरात्र मनाए जाते हैं ज‌िनमें दो गुप्त नवरात्र सह‌ित शारदीय नवरात्र और बासंती नवरात्र, ज‌िसे चैत्र नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है शाम‌िल हैं। चारों नवरात्रि ऋतु चक्रों पर आधारित हैं।
 
ज्योतिषीय महत्व
ज्योत‌िषीय दृष्ट‌ि से चैत्र नवरात्र का खास महत्व है क्योंक‌ि इस नवरात्र के दौरान या आसपास सूर्य का राश‌ि परिवर्तन होता है। चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। इसी द‌िन से वर्ष के राजा, मंत्री, सेनापत‌ि, वर्षा, कृष‌ि के स्वामी ग्रह का न‌िर्धारण होता है और वर्ष में अन्न, धन, व्यापार और सुख शांत‌ि का आंकलन क‌िया जाता है। नवरात्र में देवी और नवग्रहों की पूजा का कारण यह भी है क‌ि ग्रहों की स्थ‌ित‌ि पूरे वर्ष अनुकूल रहे और जीवन में खुशहाली बनी रहे।
 
धार्मिक महत्व
धार्म‌िक दृष्ट‌ि से नवरात्र का अपना अलग ही महत्व है क्योंक‌ि इस समय आद‌िशक्त‌ि ज‌िन्होंने इस पूरी सृष्ट‌ि को अपनी माया से ढका हुआ है ज‌िनकी शक्त‌ि से सृष्ट‌ि का संचलन हो रहा है जो भोग और मोक्ष देने वाली देवी हैं वह पृथ्वी पर होती है इसल‌िए इनकी पूजा और आराधना से इच्छ‌ित फल की प्राप्त‌ि अन्य द‌िनों की अपेक्षा जल्दी ‌होती है। जहां तक बात है चैत्र नवरात्र की तो धार्म‌िक दृष्ट‌ि से इसका खास महत्व है क्योंक‌ि चैत्र नवरात्र के पहले द‌िन आद‌िशक्त‌ि प्रकट हुई थी और देवी के कहने पर ब्रह्मा जी को सृष्ट‌ि न‌िर्माण का काम शुरु क‌िया था।
 
इसल‌िए चैत्र शुक्ल प्रत‌िपदा से ह‌िन्दू नववर्ष शुरु होता है। चैत्र नवरात्र के तीसरे द‌िन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में पहला अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की थी। इसके बाद भगवान व‌िष्णु का सातवां अवतार जो भगवान राम का है वह भी चैत्र नवरात्र में हुआ था। इसल‌िए धार्म‌िक दृष्ट‌ि से चैत्र नवरात्र का बहुत महत्व है। 
 
आध्यात्मिक महत्व
इस नवरात्रि में देवी की 9 शक्तियों के अलावा 9 विद्या भी पूजी जाती हैं। 9 औषधियां भी पूजन में शामिल की जाती है। इस नवरात्रि में ध्यान, चिंतन और मनन के अतिरिक्त आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयास किए जाते हैं। साधक की साधना इस नवरात्रि में अधिक फलदायी होती है। 
webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Ramadan 2023 : ये है पहले रोजे की सीख, आप भी जानिए