Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(कामदा एकादशी)
  • तिथि- चैत्र शुक्ल एकादशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-कामदा एकादशी, दादा ठनठनपाल आनंद महो.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

नवरात्रि : मां दुर्गा का वाहन शेर ही क्यों, क्यों कहलाईं माता शेरांवाली

हमें फॉलो करें नवरात्रि : मां दुर्गा का वाहन शेर ही क्यों, क्यों कहलाईं माता शेरांवाली
मां दुर्गा के अनेक नाम हैं। शेर पर सवार होने के कारण मां अम्बे को शेरांवाली कहते हैं। लेकिन मां दुर्गा को शेरांवाली के नाम से पुकारने के पीछे एक कथा भी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार -
 
भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने हजारों वर्षों तक तपस्या की थी। इस तपस्या का तेज इतना अधिक था कि मां पार्वती का गोरा रंग सांवला पड़ गया था। लेकिन तपस्या सफल हुई और मां पार्वती को भगवान शिव, पति के रूप में प्राप्त हुए।
 
एक बार शाम के समय मां पार्वती और भगवान शिव साथ कैलाश पर्वत पर बैठे थे। भगवान शिव ने हास्य बोध में मां पार्वती के रंग को देख उन्हें 'काली' कहकर पुकारा। ये शब्द माता को अच्छे नहीं लगे और वे तुरंत कैलाश पर्वत छोड़ वन में अपने गोरे रंग को फिर पाने के लिए घोर तपस्या करने बैठ गईं।
 
जब वे वन में तपस्या कर रही थीं, तभी एक भूखा शेर मां को खाने के उद्देश्य से वहां पहुंचा। लेकिन वह शेर चुपचाप वहां बैठकर तपस्या कर रही माता को देखता रहा। माता की तपस्या में सालों बीत गए और मां पार्वती के साथ शेर वहीं बैठा रहा रहे।
 
जब माता पार्वती की इस तपस्या को खत्म करने वहां भगवान शिव पहुंचे और उन्हें फिर गोरा होने का वरदान दिया, तब मां पार्वती गंगा स्नान के लिए चली गईं।

स्नान के लिए गई मां पार्वती के शरीर से एक और काले रंग की देवी वहां प्रकट हुईं। उस काली देवी के निकलते ही माता पार्वती एक बार फिर गोरी हो गईं और इस काले रंग की माता नाम कौशिकी पड़ा। जब मां पार्वती का रंग गोरा हुआ तो माता पार्वती को एक और नाम मिला, जिसे उनके भक्त गौरी नाम से जानते हैं।
 
जब मां पार्वती वापस अपने स्थान पर पहुंची, तो शेर को वहीं बैठा पाया।
 
इस बात से प्रसन्न होकर माता गौरी ने उस शेर को अपना वाहन बना लिया और वे शेर पर सवार हुईं। यही कारण है कि मां दुर्गा को शेरांवाली कहा जाने लगा।
ALSO READ: जानिए मां अंबे के 9 रूपों के 9 शुभ वरदान


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Maharaja Agrasen : कर्मयोगी लोकनायक महाराजा अग्रसेन की जयंती