नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी को पूजा जाता है। यह देवी भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट करती हैं। आइए पढ़ें आरती- 
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	जय जय अंबे जय कात्यायनी ।
	जय जगमाता जग की महारानी ।।
	 
	बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
 
									
										
								
																	
	वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
	 
	कई नाम हैं कई धाम हैं।
	यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
 
									
											
									
			        							
								
																	
	 
	हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
	कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
	 
	हर जगह उत्सव होते रहते।
 
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	
	हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
	 
	कात्यायनी रक्षक काया की।
	ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	झूठे मोह से छुड़ानेवाली।
	अपना नाम जपानेवाली।।
	 
	बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
	 
	हर संकट को दूर करेगी।
	भंडारे भरपूर करेगी ।।
	 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	जो भी मां को भक्त पुकारे।
	कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।