20 अप्रैल को दुर्गाष्टमी: जानिए अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त और इस दिन कैसे करें कन्या पूजन
नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इन तिथियों पर मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान होता है। इस बार 20 और 21 अप्रैल को अष्टमी और नवमी तिथि है। नवरात्रि के ये दो दिन विशेष दिन होते हैं, जिसमें मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए हवन, पूजा अनुष्ठान और कन्याओं को भोजन कराकर उनकी पूजा की जाती है।
नवरात्रि की अष्टमी और नवमी की तिथि पर किए जाने वाले कन्या पूजन को कंजक भी कहा जाता है। इस पावन दिन छोटी बच्चियों को देवी का स्वरूप मानते हुए पूजा की जाती है और उनसे सुख-समृद्धि एवं निरोगी होने का आशीर्वाद लिया जाता है।
आइए जानते हैं कन्या पूजन की विधि...
अष्टमी के दिन कन्या पूजन के लिए प्रात:काल स्नान-ध्यान कर भगवान गणेश और मां महागौरी की पूजा करें। देवी स्वरुपा नौ कन्याओं को घर में सादर आमंत्रित करें और उन्हें ससम्मान आसन पर बिठाएं। सबसे पहले शुद्ध जल से कन्याओं के पैर धोएं। पैर धोने के पश्चात् कन्याओं को तिलक लगाकर पंक्तिबद्ध बैठाएं। कन्याओं के हाथ में रक्षासूत्र बांधें और उनके चरणों में पुष्प चढ़ाएं। इसके बाद नई थाली में कन्याओं को पूड़ी, हलवा, चना आदि श्रद्धा पूर्वक परोसें। भोजन में कन्याओं को मिष्ठान और प्रसाद देकर अपनी क्षमता के अनुसार द्रव्य, वस्त्र आदि का दान करें। कन्याओं के भोजन के उपरांत उन्हें देवी का स्वरूप मानते हुए उनकी आरती करें और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। अंत में इन सभी कन्याओं को सादर दरवाजे तक और संभव हो तो उनके घर तक जाकर विदा करना न भूलें।
अष्टमी पूजा का महत्व
नवरात्रि पर अष्टमी पूजा का विशेष महत्व होता है। अष्टमी तिथि पर मंत्रोचार और हवन के माध्यम से मां दुर्गा से सुख-समृद्धि, मान-सम्मान और आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। अष्टमी तिथि पर मां शक्ति की उपासना करने पर व्यक्ति के हर तरह कष्ट दूर हो जाते हैं।
अष्टमी तिथि पर पूजा के शुभ मुहूर्त
सुबह- 7.15 से 9.05 तक