नवरात्रि में वैसे तो नौ दिन ही हवन किया जाता है परंतु सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन कई घरों में हवन करके ही व्रत का पारण किया जाता है। इसलिए यहां प्रस्तुत है महानवमी के दिन किए जाने वाले हवन और पूजन का शुभ मुहूर्त।
कब है महानवमी : पंचाग के अनुसार अक्टूबर 23, 2020 को 06:58:53 से अष्टमी आरम्भ होगी जो 24, 2020 को 07:01:02 पर समाप्त होगी। स्थानीय पंचांग भेद के अनुसार यह समय अलग अलग हो सकता है। इसका मतलब यह कि 24 अक्टूबर प्रात: 07:01:02 से नवमी तिथि का प्रारंभ होगा जो 25 अक्टूबर रविवार को सुबह 07:42 तक रहेगी। स्थानीय भेद से 24 अक्टूबर प्रात: 06:58 से 25 अक्टूबर सुबह 07:42 तक नवमी की तिथि है। इसलिए महानवमी का हवन भी 25 अक्टूबर को होगा।
इसका अर्थ यह कि 24 अक्टूबर को ही नवमी पूरे दिन और रात में रहेगी। अत: 24 अक्टूबर के मुहूर्त ही नवमी के लिए उपयुक्त होंगे, क्योंकि 25 अक्टूबर को प्रात: 07:42 तक ही नवमी तिथि रहेगी। हालांकि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर शनिवार को दिन में 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो रही है जो 25 अक्टूबर रविवार को दिन में 11 बजकर 14 तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो रही है, जो दूसरे दिन 26 अक्टूबर सोमवार को दिन में 11 बजकर 33 मिनट तक रहेगी।
तब शास्त्र क्या कहता है : ऐसे में यदि नवमी तिथि अष्टमी के दिन ही प्रारंभ हो जाती है तो नवमी पूजा और उपवास अष्टमी को ही किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार यदि अष्टमी के दिन सांयकाल से पहले अष्टमी और नवमी तिथि का विलय हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में अष्टमी पूजा, नवमी पूजा और संधि पूजा उसी दिन करने का विधान है।
24 अक्टूबर के मुहूर्त : हवन व पूजन के लिए 24 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 58 मिनट से शाम को 05 बजकर 42 मिनट के बीच दुष्ट काल को छोड़कर अच्छा मुहूर्त है। इस दिन अष्टमी और नवमी दोनों ही का हवन किया जा सकता है।
सबसे शुभ समय : 24 अक्टूबर को अभिजीत 11:42:35 से 12:27:32 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग : 24 अक्टूबर को 6:25 प्रात: से रात्रि अंत तक
25 अक्टूबर के मुहूर्त : नवरात्रि की नवमी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 58 मिनट से हो रहा है, जो 25 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है। ऐसे में नवमी 25 अक्टूबर को है तथा महानवमी का हवन भी रविवार की सुबह होगा। नवमी के दिन प्रात:काल में हवन के लिए 01 घंटा 13 मिनट का समय है।
सबसे शुभ समय : 25 अक्टूबर को अभिजीत 11:42:32 से 12:27:23 तक
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त : दोपहर 01:12 से दोपहर 03:27 बजे तक है। इस अवधि में आपको देवी अपराजिता और शमी वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
संधि पूजा : महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है। यह पूजा अष्टमी और नवमी दोनों दिन चलती है। संधि पूजा में अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी प्रारंभ होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि काल कहते हैं। संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन के लिए सबसे शुभ माना जाता है। क्योंकि यह वह समय होता है जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि का आरंभ होता है। मान्यता है कि, इस समय में देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड का वध किया था।