हमारे सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। हिन्दू वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन, और माघ, मासों में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसमें दो नवरात्र को प्रगट एवं शेष दो नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रि में देवी प्रतिमा स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा-आराधना की जाती है वहीं आषाढ़ और माघ मास में की जाने वाली देवीपूजा "गुप्त नवरात्र" में अंतर्गत आती है। जिसमें केवल मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति प्रज्जवलित कर या जवारे की स्थापना कर देवी की आराधना की जाती है।
आश्विन मास में आनेवाली नवरात्रि को शारदीय-नवरात्र भी कहा जाता है। इस वर्ष शारदीय-नवरात्र का प्रारंभ का 29 सितंबर से होने जा रहा है। जिसमें मन्दिरों एवं घरों में घट स्थापना एवं देवी प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। देवी आराधना में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है।
नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना के दिन होते हैं। अनेक श्रद्धालु इन नौ दिनों में अपने घरों में घट-स्थापना कर अखंड ज्योति की स्थापना कर नौ दिनों का उपवास रखते हैं। आइए जानते हैं कि नवरात्र में घट-स्थापन एवं अखंड ज्योति जलाने का शुभ मुहूर्त कब है- किस समय करें देवी पूजन...
दिवस मुहूर्त-
- प्रात: : 9:10 से 12:00 बजे तक,
- दोपहर : 1:40 से 3:00 बजे तक
सायंकालीन मुहूर्त-
- सायं 6:00 से 9:00 बजे तक
-ज्योतिर्विद् पं. हेमंत रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र