श्री दुर्गासप्तशती स्वयं साक्षात् देवी दुर्गा हैं, ऐसा ही मानना चाहिए। पूर्ण तंत्र वह अपने आप में है। नित्य पाठ करने से सभी आपदाएं दूर होकर समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 1-1 मंत्र जपने से कोई विशेष समस्या का निवारण होता है।
1. जीवन में कभी भी कोई उपद्रव हो तो-
'रक्षांसि यन्त्रोग्रविषाश्च नागा,
यत्रास्यो दस्यु बलानि यत्र।
दावानलो यत्र तथाब्धि मध्ये,
तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम्।।'
नित्य 5 माला करें तथा अंत में हवन करें। समस्त आपदाओं का नाश होगा।
(2) समस्त कार्यों की सिद्धि के लिए तथा माता की कृपा प्राप्त करने के लिए-
'शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि, नारायणि नमोस्तुते।।
11 माला नित्य कर अंत में हवन करें।
(3) सुन्दर पत्नी प्राप्ति के लिए जपें-
'पत्निं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्यकुलोद्भवाम।।''
4. मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए-
'एवं देव्या वरं लब्ध्वा सुरथ: क्षत्रियर्षभ:।।'
5. सभी प्रकार के भयनाश के लिए-
'सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते:।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि, दुर्गे देवि नमोस्तुते।।'
6. रुके कार्यों में सफलता के लिए-
'धर्म्याणि देवि, सकलानि सदैव कर्माएयत्यादृत: प्रतिदिनं सुकृति करोति।
स्वर्गं प्रयाति च ततो भवानी प्रवती प्रसादात् लोकत्रयेऽपि फलदा तनु देवि, लेन।।'
7. धनवृद्धि के लिए-
'इत्थं निशभ्यदेवानां वचांसिमधुसूदन:।
चकार कोपं शम्भुश्च भ्रकुटीकुटिलाननौ।।'
8. देवी कृपा के लिए नित्य जप करें-
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।'
इसका नित्य जप करें तथा समय-समय पर यथाशक्ति हवन करें। नित्य अर्चन आवश्यक है। देवी कृपा अवश्य प्राप्त होगी तथा समस्या का निवारण होगा।