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नवदुर्गा की पौराणिक कथा 3- कैसे हुआ महिषासुर का वध

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नवरात्रि पर्व से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने एक भैंसरूपी असुर अर्थात महिषासुर का वध किया था। 
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजेय होने का वरदान दे दिया। उसको वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा। और प्रत्याशित प्रतिफलस्वरूप महिषासुर ने नरक का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देखकर देवता विस्मय की स्‍थिति में आ गए।
 
महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चंद्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए हैं और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से पृथ्‍वी पर विचरण करना पड़ रहा है। 
 
तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। 
 
महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और कहा जाता है कि इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और शक्तिस्वरूपा हो गई थीं। इन 9 दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अंतत: वे महिषासुरमर्दिनी कहलाईं।


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